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سُورَةُ النَّازِعَاتِ

79. अन-नाज़िआत

(मक्का में उतरी, आयतें 46)

परिचय

नाम

पहली ही आयत के शब्द 'वन-नाज़िआत' (अर्थात् क़सम है उन फ़रिश्तों की जो डूबकर खींचते हैं) से उद्धृत है।

उतरने का समय

हज़रत अब्दुल्लाह-बिन-अब्बास (रज़ि०) का बयान है कि यह सूरा-78 अन-नबा के बाद उतरी है। इसका विषय भी यही बता रहा है कि यह आरम्भिक काल की उतरी हुई सूरतों में से है।

विषय और वार्ता

इसका विषय क़ियामत और मौत के बाद की जिंदगी की पुष्टि है और साथ-साथ इस बात की चेतावनी भी कि अल्लाह के रसूल को झुठलाने का अंजाम क्या होता है। वार्ता के आरम्भ ही में मौत के समय जान निकालनेवाले और अल्लाह के आदेश का बिना कुछ देर किए पालन करनेवाले और अल्लाह के आदेशों के अनुसार सम्पूर्ण सृष्टि का प्रबन्ध करनेवाले फ़रिश्तों की क़सम खाकर विश्वास दिलाया गया है कि क़ियामत ज़रूर आएगी और मौत के बाद दूसरी ज़िन्दगी ज़रूर पेश आकर रहेगी, क्योंकि जिन फ़रिश्तों के हाथों आज जान निकाली जाती है, उन्हीं के हाथों दोबारा जान डाली भी जा सकती है और जो फ़रिश्ते आज अल्लाह के आदेश का पालन बिना कुछ देर किए करते और सृष्टि का प्रबन्ध करते हैं, वही फ़रिश्ते कल उसी अल्लाह के आदेश से सृष्टि की यह व्यवस्था छिन्न-भिन्न भी कर सकते हैं और एक दूसरी व्यवस्था क़ायम भी कर सकते हैं। इसके बाद लोगों को बताया गया है कि यह काम जिसे तुम बिलकुल असम्भव समझते हो, अल्लाह के लिए सिरे से कोई कठिन काम ही नहीं है जिसके लिए किसी बड़ी तैयारी की ज़रूरत हो, बस एक झटका दुनिया की इस व्यवस्था को छिन्न-भिन्न कर देगा और एक दूसरा झटका इसके लिए बिलकुल काफ़ी होगा कि दूसरी दुनिया में यकायक तुम अपने आपको जिंदा मौजूद पाओ।

फिर हज़रत मूसा (अलैहि०) और फ़िरऔन का क़िस्सा संक्षेप में बयान करके लोगों को सचेत किया गया है कि रसूल को झुठलाने और चालबाज़ियों से उसे हराने की कोशिश का क्या अंजाम फ़िरऔन देख चुका है। उससे शिक्षा प्राप्त करके इस नीति को न छोड़ोगे तो वही अंजाम तुम्हें भी देखना पड़ेगा। इसके बाद आयत 27 से 33 तक आख़िरत और मरने के बाद की ज़िन्दगी के प्रमाणों का उल्लेख किया गया है। आयत 34-41 में यह बताया गया है कि जब आख़िरत होगी तो इंसान के सार्वकालिक और शाश्वत भविष्य का निर्णय इस आधार पर होगा कि किसने दुनिया में बन्दगी की सीमा से आगे बढ़कर अपने रब से बग़ावत की और दुनिया के लाभों और आस्वादनों को मक़सद बना लिया और किसने अपने रब के सामने खड़े होने का भय रखा और कौन मन की अवैध कामनाओं को पूरा करने से बचकर रहा। आख़िर में मक्का के इस्लाम-विरोधियों के इस प्रश्न का उत्तर दिया गया है कि वह क़ियामत आएगी कब? उत्तर में कहा गया है कि उसके समय का ज्ञान अल्लाह के सिवा किसी को नहीं है। रसूल का काम सिर्फ़ सचेत कर देना है कि वह समय आएगा ज़रूर। अब जिसका जी चाहे उसके आने का भय रखकर अपना रवैया ठीक कर ले और जिसका जी चाहे निडर होकर बे-नकेल ऊँट की तरह चलता रहे। जब वह समय आ जाएगा तो वही लोग जो इस दुनिया की ज़िन्दगी पर मर-मिटते थे और इसी को सब कुछ समझते थे, यह महसूस करेंगे कि दुनिया में वे सिर्फ़ घड़ी भर ठहरे थे। उस समय उन्हें मालूम होगा कि इस कुछ दिनों की जिंदगी के लिए उन्होंने किस तरह सदा के लिए अपना भविष्य ख़राब कर लिया।

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سُورَةُ النَّازِعَاتِ
79. अन-नाज़िआत
بِسۡمِ ٱللَّهِ ٱلرَّحۡمَٰنِ ٱلرَّحِيمِ
अल्लाह के नाम से जो बड़ा कृपाशील, अत्यन्त दयावान हैं।
وَٱلنَّٰزِعَٰتِ غَرۡقٗا ۝ 1
गवाह हैं वे (हवाएँ) जो ज़ोर से उखाड़ फैंकें,॥1॥
وَٱلنَّٰشِطَٰتِ نَشۡطٗا ۝ 2
और गवाह हैं वे (हवाएँ) जो नर्मी के साथ चलें,॥2॥
وَٱلسَّٰبِحَٰتِ سَبۡحٗا ۝ 3
और गवाह हैं वे जो वायुमंडल में तैरें, ॥3॥
فَٱلسَّٰبِقَٰتِ سَبۡقٗا ۝ 4
फिर एक-दूसरे से अग्रसर हों,॥4॥
فَٱلۡمُدَبِّرَٰتِ أَمۡرٗا ۝ 5
और मामले की तदबीर करें।॥5॥
يَوۡمَ تَرۡجُفُ ٱلرَّاجِفَةُ ۝ 6
जिस दिन हिला डालेगी हिला डालनेवाले घटना,॥6॥
تَتۡبَعُهَا ٱلرَّادِفَةُ ۝ 7
उसके पीछ घटित होगी एक दूसरी (घटना)॥7॥
قُلُوبٞ يَوۡمَئِذٖ وَاجِفَةٌ ۝ 8
कितने ही दिल उस दिन काँप रहे होंगे, ॥8॥
أَبۡصَٰرُهَا خَٰشِعَةٞ ۝ 9
उनकी निगाहें झुकी होंगी।॥9॥
يَقُولُونَ أَءِنَّا لَمَرۡدُودُونَ فِي ٱلۡحَافِرَةِ ۝ 10
वे कहते हैं, "क्या वास्तव में हम पहली हालत में फिर लौटाए जाएँगे? ॥10॥
أَءِذَا كُنَّا عِظَٰمٗا نَّخِرَةٗ ۝ 11
क्या जब हम खोखली गली हड्डियाँ हो चुके होंगे?"॥11॥
قَالُواْ تِلۡكَ إِذٗا كَرَّةٌ خَاسِرَةٞ ۝ 12
कहते हैं, "तब तो लौटना बड़े ही घाटे का होगा।"॥12॥
فَإِنَّمَا هِيَ زَجۡرَةٞ وَٰحِدَةٞ ۝ 13
वह तो बस एक ही झिड़की होगी, ॥13॥
فَإِذَا هُم بِٱلسَّاهِرَةِ ۝ 14
फिर क्या देखेंगे कि वे एक समतल मैदान में उपस्थित हैं।॥14॥
هَلۡ أَتَىٰكَ حَدِيثُ مُوسَىٰٓ ۝ 15
क्या तुम्हें मूसा की ख़बर पहुँची है? ॥15॥
إِذۡ نَادَىٰهُ رَبُّهُۥ بِٱلۡوَادِ ٱلۡمُقَدَّسِ طُوًى ۝ 16
जबकि उसके रब ने पवित्र घाटी 'तुवा' में उसे पुकारा था॥16॥
ٱذۡهَبۡ إِلَىٰ فِرۡعَوۡنَ إِنَّهُۥ طَغَىٰ ۝ 17
कि "फ़िरऔन के पास जाओ, उसने बहुत सिर उठा रखा है॥17॥
فَقُلۡ هَل لَّكَ إِلَىٰٓ أَن تَزَكَّىٰ ۝ 18
और कहो, क्या तू यह चाहता है कि आत्मिक विकास प्राप्‍त कर ले,॥18॥
وَأَهۡدِيَكَ إِلَىٰ رَبِّكَ فَتَخۡشَىٰ ۝ 19
और मैं तेरे रब की ओर तेरा मार्गदर्शन करूँ कि तू (उससे) डरे?"॥19॥
فَأَرَىٰهُ ٱلۡأٓيَةَ ٱلۡكُبۡرَىٰ ۝ 20
फिर उसने (मूसा ने) उसको बड़ी निशानी दिखाई, ॥20॥
فَكَذَّبَ وَعَصَىٰ ۝ 21
किन्तु उसने झुठला दिया और कहा न माना,॥21॥
ثُمَّ أَدۡبَرَ يَسۡعَىٰ ۝ 22
फिर सक्रियता दिखाते हुए पलटा, ॥22॥
فَحَشَرَ فَنَادَىٰ ۝ 23
फिर (लोगों को) एकत्र किया और पुकारकर कहा, ॥23॥
فَقَالَ أَنَا۠ رَبُّكُمُ ٱلۡأَعۡلَىٰ ۝ 24
"मैं तुम्हारा उच्‍चकोटि का हाकिम हूँ!" ॥24॥
فَأَخَذَهُ ٱللَّهُ نَكَالَ ٱلۡأٓخِرَةِ وَٱلۡأُولَىٰٓ ۝ 25
अन्ततः अल्लाह ने उसे आख़िरत और दुनिया की शिक्षाप्रद यातना में पकड़ लिया।॥25॥
إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَعِبۡرَةٗ لِّمَن يَخۡشَىٰٓ ۝ 26
निस्संदेह इसमें उस व्यक्ति के लिए बड़ी शिक्षा है जो डरे!॥26॥
ءَأَنتُمۡ أَشَدُّ خَلۡقًا أَمِ ٱلسَّمَآءُۚ بَنَىٰهَا ۝ 27
क्या तुम्हें पैदा करना अधिक कठिन कार्य है या आकाश को? अल्लाह ने उसे बनाया, ॥27॥
رَفَعَ سَمۡكَهَا فَسَوَّىٰهَا ۝ 28
उसकी ऊँचाई को ख़ूब ऊँचा करके उसे ठीक-ठाक किया;॥28॥
وَأَغۡطَشَ لَيۡلَهَا وَأَخۡرَجَ ضُحَىٰهَا ۝ 29
और उसकी रात को अन्धकारमय बनाया और उसका दिवस-प्रकाश प्रकट किया॥29॥
وَٱلۡأَرۡضَ بَعۡدَ ذَٰلِكَ دَحَىٰهَآ ۝ 30
और धरती को देखो! इसके बाद उसे फैलाया;॥30॥
أَخۡرَجَ مِنۡهَا مَآءَهَا وَمَرۡعَىٰهَا ۝ 31
उसमें से उसका पानी और उसका चारा निकाला।॥31॥
وَٱلۡجِبَالَ أَرۡسَىٰهَا ۝ 32
और पहाड़ों को देखो! उन्हें उस (धरती) में जमा दिया, ॥32॥
مَتَٰعٗا لَّكُمۡ وَلِأَنۡعَٰمِكُمۡ ۝ 33
तुम्हारे लिए और तुम्हारे मवेशियों के लाभ के लिए।॥33॥
فَإِذَا جَآءَتِ ٱلطَّآمَّةُ ٱلۡكُبۡرَىٰ ۝ 34
फिर जब वह महाविपदा आएगी,॥34॥
يَوۡمَ يَتَذَكَّرُ ٱلۡإِنسَٰنُ مَا سَعَىٰ ۝ 35
उस दिन मनुष्य, जो कुछ भी उसने प्रयास किया होगा, उसे याद करेगा॥35॥
وَبُرِّزَتِ ٱلۡجَحِيمُ لِمَن يَرَىٰ ۝ 36
और भड़कती आग (जहन्‍नम) देखने वालों के लिए खोल दी जाएगी।॥36॥
فَأَمَّا مَن طَغَىٰ ۝ 37
तो जिस किसी ने सरकशी की॥37॥
وَءَاثَرَ ٱلۡحَيَوٰةَ ٱلدُّنۡيَا ۝ 38
और सांसारिक जीवन को प्राथमिकता दी होगी, ॥38॥
فَإِنَّ ٱلۡجَحِيمَ هِيَ ٱلۡمَأۡوَىٰ ۝ 39
तो निस्संदेह भड़कती आग ही उसका ठिकाना है।॥39॥
وَأَمَّا مَنۡ خَافَ مَقَامَ رَبِّهِۦ وَنَهَى ٱلنَّفۡسَ عَنِ ٱلۡهَوَىٰ ۝ 40
और रहा वह व्यक्ति जिसने अपने रब के सामने खड़े होने का भय रखा और अपने जी को बुरी इच्छा से रोका, ॥40॥
فَإِنَّ ٱلۡجَنَّةَ هِيَ ٱلۡمَأۡوَىٰ ۝ 41
तो जन्नत ही उसका ठिकाना है।॥41॥
يَسۡـَٔلُونَكَ عَنِ ٱلسَّاعَةِ أَيَّانَ مُرۡسَىٰهَا ۝ 42
वे तुमसे उस घड़ी के विषय में पूछते हैं कि वह कब आकर ठहरेगी?॥42॥
فِيمَ أَنتَ مِن ذِكۡرَىٰهَآ ۝ 43
उसके बयान करने से तुम्हारा क्या सम्बन्ध?॥43॥
إِلَىٰ رَبِّكَ مُنتَهَىٰهَآ ۝ 44
उसकी अन्तिम पहुँच तो तेरे से ही सम्बन्ध रखती है।॥44॥
إِنَّمَآ أَنتَ مُنذِرُ مَن يَخۡشَىٰهَا ۝ 45
तुम तो बस उस व्यक्ति को सावधान करनेवाले हो जो उससे डरे।॥45॥
كَأَنَّهُمۡ يَوۡمَ يَرَوۡنَهَا لَمۡ يَلۡبَثُوٓاْ إِلَّا عَشِيَّةً أَوۡ ضُحَىٰهَا ۝ 46
जिस दिन वे उसे देखेंगे तो (ऐसा लगेगा) मानो वे (दुनिया में) बस एक शाम या उसकी सुबह ही ठहरे हैं।॥46॥