Hindi Islam
Hindi Islam
×

Type to start your search

सामयिकी

Found 15 Posts

जनसंख्या वृद्धि ग़रीबी नहीं, उत्पादन बढ़ाती है
जनसंख्या वृद्धि ग़रीबी नहीं, उत्पादन बढ़ाती है
30 June 2024
Views: 153

उत्पादन मनुष्य द्वारा किया जाता है, जितने मनुष्य होंगे उसी अनुपात में उत्पादन होगा और आर्थिक विकास की दर बढ़ेगी । डेढ़ सदी पहले तक दुनिया इसी सीधी सोच पर क़ायम थी फिर यह सोच टेढ़ी हो गई और दुनिया भर में लोगों के मन में यह बात बिठा दी गई, कि ‘बस एक या दो बच्चे होते हैं घर में अच्छे। हालाँकि यह एक सीधी सी बात है कि ज़्यादा बच्चे, यानी ज़्यादा आबादी, ज़्यादा आबादी यानी ज़्यादा उत्पादन, ज़्यादा उत्पादन यानी ज़्यादा ख़ुशहाली। जनसंख्या का सीधा और सकारात्मक प्रभाव आर्थिक विकास पर पड़ता है ।

कॉरपोरेट मीडिया
कॉरपोरेट मीडिया
22 March 2024
Views: 198

प्रस्तुत पुस्तिका जमाअत इस्लामी हिन्द के साम्राज्यवाद विरोधी अभियान के दौरान लिखी गई थी। इसमें बताया गया है कि आज का कॉरपोरेट मीडिया किस तरह अपने दायित्व से विमुख होकर साम्राज्यवादी पूँजीवाद की कठपुतली बन गया है। इससे देश और देशवासियों को कितना नुक़सान उठाना पड़ रहा है। इसनें मीडिया का इस्लामी दृष्टिकोण, भी पेश किया गया है और सुधार के उपाय भी बताए गए हैं।

समलैंगिकता का फ़ितना
समलैंगिकता का फ़ितना
18 March 2024
Views: 189

समलैंगिकता मानवता से ही नहीं, पशुता से भी गिरा हुआ कर्म है। पशु भी समलैंगिक नहीं होते। यह प्रकृति से बग़ावत है और समाज को बर्बाद कर देनेवाला कर्म है। वास्तव में यह एक मानसिक रोग है, जिसका इलाज किया जाना चाहिए, लेकिन कुछ नासमझ लेग जो इस रोग से ग्रस्त हैं, दूसरों को भी इससे ग्रस्त करना चाहते हैं। इसलिए ज़रूरी है कि इसकी बुराइयों से लोगों को तार्किक ढंग से अवगत किया जाए। यह पुस्तिका उसी की एक कोशिश है।

फ़िलिस्तीनी संघर्ष ने इसराईल के घिनौने चेहरे को बेनक़ाब कर दिया
फ़िलिस्तीनी संघर्ष ने इसराईल के घिनौने चेहरे को बेनक़ाब कर दिया
27 December 2023
Views: 359

यह फ़िलिस्तीनी संधर्ष ही है जिसने नई पश्चिमी सत्ता के चेहरे से मानवाधिकार, स्वतंत्रता, समानता और लोकतंत्र का लुभावना और सुन्दर मुखौटा उतार फेंका है और अंदर से उसी वंशवादी, क्रूर और ख़ूँख़ार दानव को नंगा करके दुनिया के सामने ला खड़ा किया है जो सोलहवीं सदी से बीसवीं सदी तक इस दुनिया को अपने ख़ूनी पंजों से लहू-लुहान करता रहा, लाखों इन्सानों को ग़ुलाम बनाकर बेचता रहा और जिसने सारी दुनिया पर क़ब्ज़ा करके संसाधनों की लूट मचा रखी थी। फ़िलिस्तीनी संधर्ष ने दुनिया पर स्पष्ट कर दिया है कि नई पश्चिमी सत्ता नैतिक संवेदनशीलता से ख़ाली एक पाश्विक अस्तित्व है जिसका कोई मज़बूत सांस्कृतिक आधार नहीं है। स्वतंत्रता और लोकतंत्र के ऊंचे दावों के शोर में दबा हुआ उस के दिल का यह चोर फ़िलिस्तीनी संधर्ष ने पकड़ कर दुनिया के सामने पेश कर दिया है कि इस सत्ता के लिए एशियाई और अफ़्रीक़ी जनता आज भी उस की प्रजा और ग़ुलाम है और उनकी ज़मीनों और संसाधनों को वह अपना ऐसा स्वामित्व समझता है कि उसे वह जैसे चाहे इस्तेमाल कर सकता है। मौलाना अली मियां नदवी ने वर्षों पहले सचेत किया था। सय्यद सआदतुल्लाह हुसैनी (अमीरे जमाअत इोस्लामी हिन्द)

इसराईली राज्य अपनी आख़िरी सांसें ले रहा है
इसराईली राज्य अपनी आख़िरी सांसें ले रहा है
16 December 2023
Views: 303

ऐसा लगता है कि हमारा सामना इतिहास के सबसे ज़्यादा भड़के हुए लोगों से पड़ गया है और अब फ़िलिस्तीनियों की ज़मीन पर उनका ही हक़ माने बिना कोई चारा नहीं है। मेरा ख़याल है कि हम बंद गली में दाख़िल हो चुके हैं और अब इसराईलियों के लिए फ़िलिस्तीन की ज़मीन पर क़ब्ज़े को बनाए रखना, बाहर से आए यहूदियों को बसाना और अम्न बहाल करना मुम्किन नहीं रहा। इसी तरह ज़ायोनिज़्म में नयापन लाने का आंदोलन, लोकतंत्र का बचाव और राज्य में आबादी का फैलाव भी अब और नहीं चल पाएंगे। इन हालात में इस मुल्क में रहने का कोई मज़ा बाक़ी नहीं रहा और इसी तरह “डेली हारेट्ज़’’ में लिखना भी बदमज़ा हो गया है और “डेली हारेट्ज़’’ के पढ़ने में भी अब कोई आकर्षण बचा नहीं रहा। अब हमें वही करना पड़ेगा जो दो वर्ष पहले “रोगील अलफ़ार’’ ने किया था और वह यह देश छोड़कर बाहर चले गये थे । आरी शाबित (एक यहूदी स्कॉलर और राजनीतिक समीक्षक)

वर्तमान स्थिति की समीक्षा
वर्तमान स्थिति की समीक्षा
16 December 2023
Views: 169

हसीब असग़र 7 अक्टूबर, 2023 को ग़ज़्ज़ा से इसराईल पर हुए ऐतिहासिक हमलों ने इसराईली सेना की प्रतिष्ठा और उसकी ख़ुफ़िया क्षमताओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऐसा झटका दिया है, जिसकी भरपाई शायद दशकों तक नहीं हो सकेगी। इसराईल का आतंक, उसकी परमाणु शक्ति, उसकी ख़ुफ़िया एजेंसी मोसाद की क्षमताएं और उसकी निरोधक क्षमता सब शून्य हो गई है। जिन टैंकों के बारे में मीडिया हथियार कंपनियों का दलाल बनकर यह दावा करता रहा है, कि इन्हें किसी भी तरह नुक़सान नहीं पहुंचाया जा सकता, उसे फ़िलिस्तीनी मुजाहिद इस तरह भस्म कर देते हैं मानो वह बच्चे का कोई खिलौना हो। इस स्थिति ने इसराईली बलों में हड़कंप मचा कर रख दी है।

यहूदियों की योजना
यहूदियों की योजना
16 December 2023
Views: 158

बैतुल-मक़दिस और फ़िलिस्तीन के संबंध में आपको यह मालूम होना चाहिए कि ईसा से लगभग तेरह सौ वर्ष पूर्व इस्राइलियों ने इस क्षेत्र में प्रवेश किया था और दो शताब्दियों के निरंतर संघर्ष के बाद अंततः उस पर कब्ज़ा कर लिया। वे इस भूमि के मूल निवासी नहीं थे। प्राचीन निवासी अन्य लोग थे जिनकी जनजातियों और क़ौमों के नाम बाइबिल में ही विस्तार से वर्णित हैं, और बाइबिल से ही हमें पता चलता है कि इस्राइलियों ने इन लोगों का नरसंहार करके उस भूमि पर उसी प्रकार क़ब्ज़ा कर लिया जिस तरह फिरंगियों ने रेड-इंडियन को नष्ट करके अमेरिका पर क़ब्ज़ा कर लिया। उनका दावा था कि ईश्वर ने यह देश उन्हें विरासत में दे दिया है। इसलिए, उन्हें इसके मूल निवासियों को विस्थापित करके, बल्कि उनकी नस्ल को खत्म करके उस पर कब्ज़ा करने का अधिकार है।

तूफ़ान अल-अक़सा : ऐतिहासिक संदर्भ
तूफ़ान अल-अक़सा : ऐतिहासिक संदर्भ
15 December 2023
Views: 215

फ़िलिस्तीन की जनता को इसराईल ने पिछले 75 वर्षों से ग़ुलाम बना रखा है। आज की विकसित दुनिया की नज़र के सामने फ़िलिस्तीनियों के सारे मानवाधिकार एक-एक करके छीन लिए गए और उन्हें लगातार दमन और अत्याचार का निशाना बनाया जा रहा है। फ़िलिस्तीनियों से उनका पूरा देश ख़ाली करा लिया गया है और पूरी आबादी को एक पट्टीनुमा इलाक़े में दीवारों के अंदर क़ैद कर दिया गया है। दुनिया की इस सबसे बड़ी खुली जेल में भी फ़िलिस्तीन के लोग सुरक्षित नहीं हैं। इसराईली सेना जब चाहे उन पर बमबारी करती है और जब चाहे उनके घरों पर बुलडोज़र चला देती है। साधनहीनता की स्थिति में फ़िलिस्तीनी ग़ुलेल और पत्थरों से मिसाइलों और टैंकों का मुक़ाबला करते हैं और विडम्बना यह है कि इसपर भी क्रूर दुनिया उन्हें आतंकवादी कहती है।

इस्लाम में जिहाद: क्या और क्यों?
इस्लाम में जिहाद: क्या और क्यों?
12 December 2023
Views: 229

आधुनिक काल में यूरोप ने अपने राजनीतिक उद्देश्यों के लिए इस्लाम पर जो निराधार आरोप लगाए हैं, उनमें सबसे बड़ा आरोप यह है कि इस्लाम एक रक्तपिपासु धर्म है और अपने अनुयायियों को रक्तपात सिखाता है। इस आरोप में अगर कुछ सच्चाई होती, तो स्वभाविक रूप से यह आरोप उस समय लगाया जाता, जब इस्लाम की पाषाणभेदी तलवार ने इस धरती पर तहलका मचा रखा था, और वास्तव में दुनिया को यह संदेह हो सकता था कि उनकी ये विजयी कार्रवाइयां किसी ख़ूनी शिक्षा का परिणाम हों। लेकिन अजीब बात है कि इस बदनामी का जन्म इस्लाम के विकास के सूरज के डूब जाने के लम्बे समय बाद हुआ। इसके काल्पनिक साँचे में उस समय जान फूँकी गई जब इस्लाम की तलवार तो ज़ंग खा चुकी थी, मगर ख़ुद इस आरोप के जनक, यूरोप की तलवार निर्दोषों के ख़ून से लाल हो रही थी और उसने दुनिया के कमज़ोर देशों को इस तरह निगलना शुरू कर दिया था, जैसे कोई अजगर छोटे-छोटे जानवरों को डसता और निगलता है।

इस्लाम और बर्थ कन्ट्रोल
इस्लाम और बर्थ कन्ट्रोल
05 February 2022
Views: 245

बर्थ कन्ट्रोल का आन्दोलन है क्या? कैसे आरम्भ हुआ? किन कारणों से उसे तरक्क़ी हुई? और जिन देशों में वह लोकप्रिय हुआ, वहाँ उसके क्या परिणाम निकले! जब तक ये बातें अच्छी तरह बुद्धिगम्य न हो जायेंगी, इस्लाम का पक्ष ठीक-ठीक समझ में न आएगा, और न ही मन को संतोष होगा, इसलिए इस पुस्तिका में हम सब से पहले इन्हीं प्रश्नों पर प्रकाश डालेंगे और अन्त में इस सम्बन्ध में इस्लामी दृटिकोण की व्याख्या करेंगे।

हमारा देश किधर जा रहा है?
हमारा देश किधर जा रहा है?
27 December 2021
Views: 72

जब तक ग़लतफ़हमियाँ दूर नहीं होंगी, दंगों का सिलसिला शायद रुक नहीं सकता। मुसलमानों को यहाँ के हिन्दू भाइयों से जो संदेह और आशंकाएं हैं उन्हें उनका कोई प्रतिनिधि ही दूर कर सकता है। अलबत्ता मुसलमानों के बारे में जो ग़लतफ़हमियाँ हिन्दू भाइयों को हैं उनके सम्बन्ध में यहाँ कुछ बातें पेश की जा रही हैं। इसी के साथ उनकी कुछ शिकायतों का भी उल्लेख किया जा रहा है, ताकि गम्भीरता से उन पर ग़ौर किया जा सके।

कन्या भ्रूण-हत्या: समस्या और निवारण
कन्या भ्रूण-हत्या: समस्या और निवारण
09 December 2021
Views: 227

"जब जीवित गाड़ी हुई लड़की से पूछा जाएगा कि उसकी हत्या किस गुनाह के कारण की गई?" (क़ुरआन: सूरा अत-तकवीर: 8,9)। जगत-उद्धारक हज़रत मुहम्मद (सल्ल.) ने फ़रमाया, "तुममें से जिसके तीन लड़कियाँ या तीन बहनें हों और वह उनके साथ अच्छा व्यवहार करे, तो वह जन्नत में अनिवार्यतः प्रवेश पाएगा" (तिरमिज़ी)।

आतंकवाद और पश्चिमी आक्रामक नीति
आतंकवाद और पश्चिमी आक्रामक नीति
08 December 2021
Views: 212

11 सितम्बर 2001 ई० का दिन अमेरिका के इतिहास में एक काले, अति दुखद और अविस्मरणीय दिन की हैसियत प्राप्त कर चुका है। कहा जा रहा है कि जिस प्रकार 72 वर्ष पूर्व, 1929 ई० में अमेरिकी शेयर बाज़ार के बताशे की तरह बैठ जाने (The Great Crash) से और फिर 60 वर्ष पूर्व 1941 ई० में पर्ल हार्बर पर अचानक जापानी हमले से, जिसमें लगभग ढाई हज़ार अमेरिकी हताहत हुए थे, अमेरिका की अर्थव्यवस्था, राजनीति, और अन्तर्राष्ट्रीय भूमिका में मूलभूत परिवर्तन आया था, बिलकुल उसी तरह 11 सितम्बर 2001 ई० की इस त्रासदी ने अमेरिका को ही नहीं पूरे पाश्चात्य जगत को हिलाकर रख दिया है।

कृषि और किसान : इस्लाम की दृष्टि में
कृषि और किसान : इस्लाम की दृष्टि में
07 December 2021
Views: 228

कभी ग़ौर करें कि जो अनाज या रिज़्क़ हम तक पहुंचता है वो आसान और सरल तरीके से नहीं आता बल्कि किसान के द्वारा ज़मीन की जुताई, बुआई, सिंचाई और देखभाल की लम्बी प्रक्रिया के बाद तैयार होता है। उसके बाद उसकी कटाई, बुनाई और पिसाई आदि होती है। इस पूरी प्रक्रिया में किसान खुद को थकाता है तब कहीं जा कर अल्लाह की ये नेमतें, जिसे अल्लाह ने ज़मीन के नीचे छुपा रखा है हम तक पहुंचती हैं जिनपर हमारे शरीर का अस्तित्व निर्भर है।

बढ़ता अपराध, समस्या और निदान
बढ़ता अपराध, समस्या और निदान
03 December 2021
Views: 209

आज के दौर में बढ़ता अपराध हर स्तर पर लोगों के लिए विचारणीय एवं चिन्ता का विषय बना हुआ है। चिन्तक और विचारक इसका इलाज ढूँढ निकालने में असफल नज़र आते हैं। यह एक ऐसी ज्वलन्त समस्या है जिसके हल करने में प्रत्येक मनुष्य को अपनी भूमिका अदा करनी चाहिए। हम यह यक़ीन रखते हैं कि इस्लाम को नज़रअन्दाज़ करके इस समस्या को हल नहीं किया जा सकता। इसलिए इस्लाम के परिप्रेक्ष्य में इस समस्या के हल को लोगों के समक्ष लाना हम अपना कर्तव्य समझते हैं।