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سُورَةُ القَارِعَةِ

अल-क़ारिआ

(मक्का में उतरी—आयतें 11)

परिचय

नाम

सूरा के पहले ही शब्द 'अल-क़ारिआ' (महान घटना) को इसका नाम क़रार दिया गया है। यह केवल नाम ही नहीं है, बल्कि इसके विषय का शीर्षक भी है, क्योंकि इसमें सारा उल्लेख क़ियामत (प्रलय) ही का है।

उतरने का समय

इसके मक्की होने में कोई मतभेद नहीं है, बल्कि इसके विषय से स्पष्ट होता है कि यह भी मक्का के आरंभिक काल की अवतरित सूरतों में से है।

विषय और वार्ता

इसका विषय है क़ियामत और आख़िरत। सबसे पहले यह कहकर लोगों को चौंकाया गया है कि महान घटना! क्या है वह महान घटना? तुम क्या जानो कि वह महान घटना क्या है ? इस तरह सुननेवालों को किसी भयावह घटना के घटित होने की ख़बर सुनने के लिए तैयार करने के बाद दो वाक्यों में उनके सामने क़ियामत का नक्शा पेश कर दिया गया है कि उस दिन लोग घबराहट की हालत में इस तरह हर ओर भागे-भागे फिरेंगे जैसे रौशनी पर आनेवाले परवाने बिखरे हुए होते हैं, और पहाड़ों का हाल यह होगा कि वे अपनी जगह से उखड़ जाएँगे, उनकी बंदिश समाप्त हो जाएगी और वे धुने हुए ऊन की तरह होकर रह जाएँगे। फिर बताया गया है कि आख़िरत में फ़ैसला इस आधार पर होगा कि किस आदमी के अच्छे कर्म बुरे कर्म से अधिक भारी हैं, और किसके अच्छे कर्म का वज़न उसके बुरे कर्म के मुक़ाबले में हल्का है। पहले प्रकार के लोगों को वह सुखद जीवन नसीब होगा जिससे वे खुश हो जाएँगे और दूसरे प्रकार के लोगों को उस गहरी खाई में फेंक दिया जाएगा जो आग से भरी हुई होगी।

 

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سُورَةُ القَارِعَةِ
101. अल-क़ारिआ
بِسۡمِ ٱللَّهِ ٱلرَّحۡمَٰنِ ٱلرَّحِيمِ
अल्लाह के नाम से जो बड़ा ही मेहरबान और रहम करनेवाला है।
ٱلۡقَارِعَةُ
(1) महान् दुर्घटना
مَا ٱلۡقَارِعَةُ ۝ 1
(2) क्या है वह महान् दुर्घटना?
وَمَآ أَدۡرَىٰكَ مَا ٱلۡقَارِعَةُ ۝ 2
(3) तुम क्या जानो कि वह महान दुर्घटना क्या है?
يَوۡمَ يَكُونُ ٱلنَّاسُ كَٱلۡفَرَاشِ ٱلۡمَبۡثُوثِ ۝ 3
(4) वह दिन जब लोग बिखरे हुए पतिंगों की तरह
وَتَكُونُ ٱلۡجِبَالُ كَٱلۡعِهۡنِ ٱلۡمَنفُوشِ ۝ 4
(5) और पहाड़ रंग-बिरंग के धुनके हुए ऊन को तरह होंगे।
فَأَمَّا مَن ثَقُلَتۡ مَوَٰزِينُهُۥ ۝ 5
(6) फिर जिसके पलड़े भारी होंगे1
1 अर्थात् नेकी के पलड़े भारी होंगे।
فَهُوَ فِي عِيشَةٖ رَّاضِيَةٖ ۝ 6
(7) वह मनभाते ऐश में होगा,
وَأَمَّا مَنۡ خَفَّتۡ مَوَٰزِينُهُۥ ۝ 7
(8) और जिसके पलड़े हलके होंगे
فَأُمُّهُۥ هَاوِيَةٞ ۝ 8
(9) उसके ठहरने की जगह गहरी खाई होगी।
وَمَآ أَدۡرَىٰكَ مَا هِيَهۡ ۝ 9
(10) और तुम्हें क्या ख़बर कि वह क्या चीज़ है?
نَارٌ حَامِيَةُۢ ۝ 10
(11) भड़कती हुई आग।