Hindi Islam
Hindi Islam
×

Type to start your search

शिक्षा

Found 8 Posts

Tafseer  Three Guide
Tafseer Three Guide
11 March 2024
Views: 24

Tafseer Three Guide

Tafseer Finished
Tafseer Finished
05 March 2024
Views: 28

Tafseer Finished

Tafseer First Box Content
Tafseer First Box Content
05 March 2024
Views: 23

Tafseer First Box Content

Quran Finished Dua
Quran Finished Dua
05 March 2024
Views: 20

Quran Finished Dua

Quran Guide
Quran Guide
05 March 2024
Views: 20

अल्लाह के नाम से जो बड़ा कृपाशील, अत्यन्त दयावान है।

मुस्लिम लड़कियों की शिक्षा : समस्याएं और समाधान
मुस्लिम लड़कियों की शिक्षा : समस्याएं और समाधान
26 November 2021
Views: 182

लड़कियों की शिक्षा पर लिखे गए इस विस्तृत लेख को इन दो हदीसों की रौशनि में पढ़ा जाऱए “अपनी औलाद की बेहतरीन परवरिश करो और उन्हें अच्छे आदाब सिखाओ इसलिए कि तुम्हारे बच्चे अल्लाह की तरफ़ से तुम्हारे लिए एक उपहार हैं।” -हदीस

बच्चों की तर्बियत और माँ-बाप की ज़िम्मेदारियाँ
बच्चों की तर्बियत और माँ-बाप की ज़िम्मेदारियाँ
28 March 2020
Views: 183

पुस्तिका: बच्चों की तर्बियत और माँ-बाप की ज़िम्मेदारियाँ

इस्लाम: शैक्षणिक व्यवस्था
इस्लाम: शैक्षणिक व्यवस्था
15 March 2020
Views: 160

धर्म-विमुख, धर्म-विहीन या धर्म-विरोधी (सेक्युलर) विचारधारा में मात्र पंचेन्द्रियाँ (Five Senses) ही ज्ञान का मूल स्रोत हैं। ऐसे ज्ञान का अभीष्ट ‘मनुष्य के व्यक्तिगत व सामूहिक हित के भौतिक संसाधनों का विकास, उन्नति तथा उत्थान' है। इसमें नैतिकता व आध्यात्मिकता के लिए कोई जगह नहीं होती। जबकि मनुष्य एक भौतिक अस्तित्व होने के साथ-साथ...बल्कि इससे कहीं अधिक...एक आध्यात्मिक व नैतिक अस्तित्व भी है। उसके अस्तित्व का यही पहलू उसे पशुओं से भिन्न व श्रेष्ठ बनाता है। शिक्षा, ज्ञान अर्जित करने की पद्धति, प्रणाली, प्रयोजन का नाम है। इस्लाम का शैक्षणिक दृष्टिकोण, यह है कि शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो मनुष्य की व्यक्तिगत, पारिवारिक, सामाजिक व सामूहिक आवश्यकताओं के भौतिक तक़ाज़ों को इस तरह पूरा करे कि उसके नैतिक व आध्यात्मिक तक़ाज़ों का हनन, और ह्रास एवं हानि न हो। इस्लाम की मान्यता है कि आध्यात्मिकता, नैतिकता एवं मानवीय मूल्यों को भौतिकता पर प्राथमिकता व वर्चस्व प्राप्त है। इस्लामी दृष्टिकोण के अनुसार यह तभी संभव है जब शिक्षा संबंधी विचारधारा में ईश्वरीय मार्गदर्शन, नियम व सिद्धांत की प्रमुख भूमिका तथा प्राथमिक व अनिवार्य योगदान हो। इस मार्गदर्शन का मूल स्रोत ‘ईशग्रंथ तथा ईशदूत (पैग़म्बर) का व्यावहारिक आदर्श' है।