बच्चों के लिए
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बेगर्ज़ मोहबत
पहले मकान कच्चे हुआ करते थे मगर उन में रहने वाले सच्चे हुआ करते थे आज मकान पक्के हैं मगर उन में रहने वालों के दिल कच्चे हैं उन में अपनापन प्यार की कमी सी है |
और मोती बोल उठा
आज बरसों बाद सूनी पड़ी हवेली में नदीम के आ जाने से चहल-पहल हुई थी । हवेली का कोना–कोना गूंज उठा था, उधर बगीचे में परिंदों ने एक अलग ही समा बांध रखा था, वो सब आपस में कह रहे थे अपना नन्हा दोस्त नदीम शहर से वापस लौट आया | अब बागीचे की दुगनी रौनक हो जाएगी। तभी मैना ने कहा, सुनो पर उस का दिल कैसे लगेगा यहाँ हवेली में सिर्फ़ उस की माँ ही रह गई हैं।
मां केवल प्रेम लिखती है
यह कहानी एक ऐसे शहर की है जिस की प्राकृतिक छटा देखते ही बनती है इस शहर का सौंदर्य अत्यंत प्रशंसनीय है इसी शहर का रहने वाला है आकाश जी हां बड़ा भोला सा व्यक्ति मगर समय की धारा और जटिल परिस्थितियों के चलते उसकी शिक्षा अधूरी रह गई थी इसी के साथ दूसरी वजह यह भी रही अकस्मात उसके पिता के निधन ने उसके देखे सारे स्वप्न धूमिल से कर दिए थे।
वह क्यों लौटा
रात का तीसरा पहर था मगर साहिल चाह कर भी सो नहीं पा रहा था बस बिस्तर पर करवटें बदलते हुए रह रहकर यही सोच रहा था क्या मैं भटक गया हूं? क्या मैं बदल गया हूं? आखिर मेरे अंदर यह परिवर्तन क्यों आया? किसने बदला मुझको? क्या स्कूल ने? क्या संगति ने? या उन दोस्तों ने जो खुद अंधकार में भटक रहे हैं? किसने? आखिर किसने? परंतु अब वापसी कैसे हो? मैं तो जीवन की धारा में खोकर इतना दूर निकल चुका हूं अब वापस कैसे लौटूं?
रहम दिल अमीन
किसी गाँव मे एक लड़का रहता था । जिस का नाम अमीन था । एक दिन अमीन का दिल हुआ के क्यूँ न नदी के किनारे घूमने चला जाए बस यही सोच कर वो नदी किनारे पहुंचा अचानक उस की निगाह नदी किनारे रेत पर पड़ी उस ने देखा के रेत पर पड़ी एक नन्ही मछली रो रही है |
वो क्यूँ रोई
किसी बगीचे में रंग -बिरंगे फूलों के बहुत फूलों दरख्त थे उन में लाल और सफ़ेद गुलाब के पौधे भी थे लाल गुलाब का नाम मुन्नू था और सफ़ेद गुलाब का नाम चुन्नू था ,जानते हैं उनकी दोस्ती पूरे बगीचे में मशहूर थी | वहीं बगीचे के कोने में बरगद का एक बहुत बड़ा पेड़ था उस पर एक कोयल रहती थी उस के नीचे वाली डाली पर चिडिया रहती थी