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मां केवल प्रेम लिखती है

मां केवल प्रेम लिखती है

यह कहानी एक ऐसे शहर की है जिस की प्राकृतिक छटा देखते ही बनती है। इस शहर का सौंदर्य अत्यंत प्रशंसनीय है। इसी शहर का रहने वाला है, आकाश! जी हां बड़ा भोला सा व्यक्ति मगर समय की धारा और जटिल परिस्थितियों के चलते उसकी शिक्षा अधूरी रह गई थी। इसी के साथ दूसरी वजह यह भी रही कि उसके पिता के अकस्मात निधन ने उसके देखे सारे स्वप्न धूमिल से कर दिए थे।

ज़ैबुन निसा

यह कहानी एक ऐसे शहर की है जिस की प्राकृतिक छटा देखते ही बनती है। इस शहर का सौंदर्य अत्यंत प्रशंसनीय है। इसी शहर का रहने वाला है, आकाश! जी हां बड़ा भोला सा व्यक्ति मगर समय की धारा और जटिल परिस्थितियों के चलते उसकी शिक्षा अधूरी रह गई थी। इसी के साथ दूसरी वजह यह भी रही कि उसके पिता के अकस्मात निधन ने उसके देखे सारे स्वप्न धूमिल से कर दिए थे।

वह हर नई सुबह अपने अंतर्मन में कहीं ना कहीं अपनी इच्छा को दबाता चला जा रहा था मानवी जो उसकी मां थी वह दिन रात मेहनत करने पर तत्पर रहती लोगों के कपड़े सिल सिल कर बेटी के सपनों को साकार करने की चेष्टा में लगी रहती परंतु एक मां जो वृद्धावस्था की चादर में लिपट चुकी हो तो सोचे कैसे बेटे के सपनों को साकार कर सकेगी असंभव था फिर भी वह कार्यरत रही उधर आकाश को शिक्षा अधूरी रह जाने का दुख तो जरूर था मगर जब जब वह मानवी के चेहरे पर बहते पसीने को देखता तो उसे अपने दुख से ज्यादा मां की पीड़ा नजर आती और फिर वह हर नई सुबह के साथ अपने दिल में आशा का दीप जलाकर निकल पड़ता नौकरी की खोज में ।

आज भी सवेरे जब वह घर से निकला था तो उसे यह नहीं मालूम था आज का दिन उसके लिए खुशी का संदेश लेकर आएगा वह आगे कदमों को बढ़ाता चला जा रहा था और अब ठीक उस जगह जाकर रुका जिस पते को ढूंढता हुआ वह वहां पहुंचा था उसने दरवाजे पर आपकी दस्तक दी क्षण भर की प्रतीक्षा उपरांत उस व्यक्ति को सामने खड़े पाया जिन्हें एक आदमी की खोज थी कुछ देर की बातचीत के बाद उस्मान ने उसे अपने यहां नौकरी पर रख भी लिया और साथ में उसे कुछ रुपए एडवांस देते हुए कहा हर रिश्ता हर काम की नीव होती है विश्वास तुम सोच रहे होंगे मैंने तुम्हें पहले क्यों पगार दे दी? ऐसा तो कहीं नहीं होता मगर सत्य यही है मनुष्य के व्यक्तित्व की पहचान क्षण भर में हो जाया करती है बस आंकलन करने वाली दृष्टि चाहिए मैंने तुम्हें जान लिया तुम निर्धनता की मार झेल रहे हो मगर एक सत्य और है वह यह कि तुम भले हो जानते हो मेरी मां हमेशा मुझसे यही कहती थी जिस के व्यक्तित्व में इन चार बातों का समावेश हो तो समझ जाओ कि उसका व्यक्तित्व महान है पहला दयालुता शिक्षा प्रेम और सच्चाई यह कहते हुए उस्मान के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान उभरी थी।

उनकी मुस्कान को देखकर आकाश मन ही मन सोच रहा था जमीन वालों पर दया करो आसमान वाला अल्लाह तुम पर दया करेगा और फिर इस शुभ समाचार को सुनाने वह घर की ओर चल दिया चौखट पर पहला कदम रखते ही मानवी की खासी की आवाज और साथ में मशीन की खड़खड़ाहट ने उसे बोध करा दिया था आज उसकी तबीयत पहले से ज्यादा खराब है वैसे सच तो यही था उसकी बढ़ती उम्र के साथ उसका शरीर भी अब पहले की तरह उसका साथ नहीं दे रहा था मगर अब सब कुछ ठीक हो जाएगा मां के सुख के दिन आ गए यह सोचते हुए वह कमरे में पहुंचा और चुपके से मानवी की आंखें बंद करते हुए बोला मां आज आपकी परीक्षा है यह बताएं मैं प्रसन्न हूं या दुखी आकाश की बात सुनते ही मानवी एकदम बोल उठी ऐसा लगता है जैसे हर परीक्षा के लिए किसी ने जीवन को हमारा पता दे दिया है मगर मेरे बेटे तुम यह मत भूलो एक मां अपनी संतान की धड़कनों तक का हिसाब रखती है और अब वही मुझसे कह रही है तुम्हें कोई खुशी मिली?

क्यों सही कहा ना मैंने यह कहते हुए मानवीय हंस दी तो आकाश मन ही मन बोला मां वह तख्ती है संतान उस पर चाहे जो लिखें मगर मां केवल प्रेम लिखती है । यह अपार प्रेम स्नेह और अनुभव सिर्फ और सिर्फ एक मां को ही हो सकता है क्योंकि उसका प्रेम निस्वार्थ और सच्चा हुआ करता है तभी उसकी तंद्रा भंग हुई मानवी की आवाज से अरे कहां खो गए बताओ मैं हारी या जीती?

ओ माँ आप जीत गई? यह कहते हुए अब उसने मानवी को अपनी नौकरी लगने की खबर सुनाई तो वह बहुत खुश हुई यही सोचती रही चलो ऊपर वाले की मेहरबानी से अब आकाश अपने सपनों को साकार कर सकेगा। अगले दिन एक नई उमंग के साथ आकाश तैयार होकर अपनी ड्यूटी पहुंचा ।

समय पंख लगाकर उड़ता रहा उधर उस्मान खुश थे उसकी कर्तव्यनिष्ठा देखकर तो वहीं दूसरी तरफ वह अपने काम को पूरी जिम्मेदारी के साथ निभा रहा था । हां अब मानवी को भी शांति मिली कि उसका बेटा खुश है एक दिन ऐसा भी आया आकाश ने मानवी से कहा अब वह लोगों के कपड़े नहीं सी लेगी ।

मानवी ने उसका प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। इस तरह उनके जीवन में किसी हद तक आराम और खुशी के पल आ चुके थे और अब उन्हें एहसास हो गया था की जीवन सदैव एक सा नहीं रहता। ऐक दिन आकाश बाजार गया तो वहां उसे एक बहुत सुंदर साड़ी दिखाई दी तो उसने फौरन उसको खरीद लिया और रास्ते भर यही सोचता रहा कि आज मेरा यह उपहार देखकर मां कितनी खुश होंगी। अभी वह घर के अंदर पहुंचा ही था देखा मां बुखार में तप रही है वह घबरा गया फौरन उन्हें हॉस्पिटल लेकर भागा लेकिन दुर्भाग्य से बीच रास्ते में ही मानवी ने संसार को अलविदा कह दिया ।

अब मानवी के दाह संस्कार के बाद ना पूछो आकाश का हाल वह दुख के सागर में गिरा ऐसा हो गया जैसे घायल पक्षी। उसके इस रूप को देखकर उस्मान को उस पर बहुत दया आई। उन्होंने उसे कुछ दिनों के लिए छुट्टी भी दे दी मगर अवकाश के ये पल और भी दयनीय हो चुके थे आकाश के लिए क्यों? जोकि है नहीं सुबह की किरण मां की याद दिलाती वह बिरहा की अग्नि में जलने लगा और आज तो वह खुद पर संयम ही ना रख सका मानवी के खाली पलंग को देखकर उसकी अंतरात्मा चीख उठी। उसकी आंखों से आंसुओं की अविरल धारा बह निकली आज वह जी भर के रोना चाहता था इसीलिए उसने अतीत की परछाइयों में अपना बचपन खोजा जिसमें कभी वह मानवी के साथ हंसता खेलता था पल भर के लिए भर वह नन्हा बालक बन कर कपकपाते उसे बोल उठा मैं जुगनू था मैं तितली था मैं रंग बिरंगा पंछी था कुछ माह वा साल की जन्नत में मां हम दोनों भी सांझी थे मैं छोटा सा जब बच्चा था तेरी उंगली थाम के चलता था तू दूर नजर से होती थी मैं आंसू आंसू रोता था एक सपनों का रोशन बस्ता तू रोज मुझे पहन आती थी जब डरता था मैं रातों को तू अपने साथ सुलाती थी मां तूने कितने वर्षों तक इस फूल को सींचा हाथों से जिंदगी के गहरे भेदों को मैं समझा तेरी बातों से मैं तेरे हाथ के तकिए पर अभी रातों को सोता हूं मां मैं छोटा सा एक बच्चा तेरी याद में अब भी रोता हू भले ही अब मेरा बचपन मुझसे दूर चला गया मगर मेरी स्मृति के धरातल पर हर पल आपको खुद से जुड़ा पाता हूं यह संभव नहीं है आप को भूलना मगर जीने के लिए यादों को छुपाना पड़ता है। यह कहते हुए उसने अपने भीगे चेहरे को पोछा । और फिर उस साड़ी को अपने बैग में रख लिया दुर्भाग्य से जो मानवी को दे ही नहीं पाया था।

अगले दिन थके कदमों से अपनी मंजिल की ओर बढ़ चला। उस्मान ने उसे देखते ही कहा अरे आकाश तुम इतनी जल्दी क्यों चले आए? अभी कुछ दिन और घर पर रुकते जब तुम्हारा दिल हल्का हो जाता तो चले आते वह अपनी बात पूरी भी नहीं कर पाए थे कि आकाश ने भरे गले से कहा सर कब तक ना था मैंने जो खोया है वह रिश्ता बहुत अटूट था अब कोई भी पल मुझे उसकी याद से दूर नहीं कर सकता और जब तक जिंदा हूं इसी एहसास के साथ जीना होगा जिंदगी की हकीकत को बस हमने इतना ही जाना है दुख में अकेले हैं और खुशियों में सारा जमाना है। अच्छा हुआ जो चला आया जल्दी काम पर वरना घर की दीवार पर मां का प्रतिबिंब नजर आ रहा था हर आहट पर उसके आने का एहसास हो रहा था यह कहते हुए उसने अपने बैग में रखी उस साड़ी को निकाला और उस्मान की तरफ बढ़ाते हुए कहा क्षमा कीजिएगा अगर आपको आपत्ति ना हो तो क्या यह उपहार मैं मैडम को दे सकता हूं? हां हां क्यों नहीं उपहार तो उपहार होता है देने वाले का दिल उस उपहार को और भी प्रिय और मूल्यवान बना देता है यह कहते हुए उस्मान ने आकाश के हाथ से वह पैकेट ले लिया और जब आकाश चला गया तो उसने उस उस को अपनी पत्नी को देते हुए कहा तुम इसे स्वीकार कर लो यह सोच कर किसी का दिल रखना भी बड़े पुण्य का काम है जी अच्छा उस्मान की पत्नी इलहाम ने कहा और फिर 1 दिन जब ईद का चांद निकला तो इलहाम ने उसी साड़ी को पहना और आकाश को ईदी देते हुए कहा यही सच है मां बाप की जगह कोई नहीं ले सकता लेकिन ना जाने क्यों आज मेरा दिल कह रहा है तुमसे एक बात कहूं और वह यह अल्लाह के अंतिम दूत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वा सल्लम का कथन है स्वर्ग मां के चरणों के नीचे है अगर माता-पिता में से किसी एक या दोनों की मृत्यु हो जाए उस अवस्था में भी अल्लाह और उसके संदेष्टा ने  आदेश दिया है कि उनके लिए प्रार्थना करते रहे कि अल्लाह तू उन्हें क्षमा कर उन्हें आराम में रख और स्वर्ग में प्रवेश कर।

 

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