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कु़रआन (लेख)

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क़ुरआन का संक्षिप्त परिचय
क़ुरआन का संक्षिप्त परिचय
26 July 2020
Views: 281

क़ुरआन समस्त मानवजाति के लिए ईश्वर की ओर से भेजा गया मार्गदर्शन है, जो ईशग्रंथों की श्रृंखला की अन्तिम कड़ी के रूप में अवतरित हुआ। इसका शाब्दिक अर्थ है ‘जिसे बार-बार पढ़ा जाए’। क़ुरआन का मूल विषय ‘मनुष्य’ है। इसमें ईशवर ने मनुष्य को यही समझाया है कि उसे इस संसार में कैसे जीवन बिताना है। इसमें इसी विषय पर चर्चा की गई है कि मनुष्य का संबंध उसके रचयिता और पालनहार ईश्वर के साथ कैसा हो, दूसरे मनुष्यों के साथ कैसा हो, प्रकृति के साथ कैसा हो, जीव-जंतुओं के साथ कैसा हो, यहां तक कि निर्जीव तत्वों, पहाड़ों और जलाशयों के साथ कैसा हो। किस तरह का संबंध उसे ईशवर के इनाम का भागीदार बनाएगा और किस तरह का संबंध दंड का पात्र। क़ुरआन में ईश्वर ने समस्त मानवजाति को संबोधित कर के बताया है कि ईश्वर के बताए हुए तरीक़े पर जीवन जीने पर उसे मरने के बाद हमेशा के लिए स्वर्ग में जगह मिलेगी और उसकी अवज्ञा के परिणामस्वरूप नरक में।

पवित्र क़ुरान एक नज़र में
पवित्र क़ुरान एक नज़र में
28 March 2020
Views: 189

मनुष्य अपने-आप में पूर्ण नहीं है। वह वास्तव में सृष्टि के समस्त रहस्यों को हल करने में सक्षम नहीं है। वह स्वयं अपने व्यक्तिगत एवं सामाजिक जीवन की सभी समस्याओं की पूरी जानकारी प्राप्त नहीं कर सकता जिससे वह अपने विचारों, कर्मों और दूसरों के साथ व्यवहारों में शांति, सामंजस्य एवं संतुलन स्थापित कर सकें। मनुष्य ने ज्ञान के क्षेत्र में जितनी भी प्रगति की है, वह सत्य और परम मूल्यों को पाने में पर्याप्त नहीं है। जबकि इसको पाए बिना शांति एवं सामंजस्य को प्राप्त नहीं कर सकता। यही कारण है कि मनुष्य अपने जीवन की समस्याओं को कुल मिलाकर हल करने में असफल है। ऐसे विश्वसनीय ज्ञान का स्रोत केवल ईश्वर ही है। वह सर्वज्ञ शक्ति जिसने मनुष्य एवं समस्त विश्व की रचना की। अतः वह इस रचना की जटिलताओं का ज्ञान रखता है। कृपाशील परमेश्वर ने मनुष्य को उसके अल्प सीमित ज्ञान एवं बुद्धि से जीवन का मार्ग निर्धारित करने और अंधकार में इधर-उधर भटकते रहने के लिए नहीं छोड़ा है। उसने मनुष्य को उसकी आवश्यकता अनुसार वास्तविकताओं का ज्ञान दे दिया एवं जीवन का मार्गदर्शन कर दिया है।

क़ुरआन की शिक्षाएं
क़ुरआन की शिक्षाएं
15 March 2020
Views: 203

वही ईश्वर ही तो है जिसने तुम्हारे लिए धर्ती का बिछौना बिछाया, आकाश की छत बनाई, पानी बरसाया, पैदावार निकाल कर तुम्हारे लिए रोज़ी जुटाई। तुमको यह सब मालूम है, तो फिर दूसरों को अल्लाह का समकक्ष मत ठहराओ। (सार, 2:22) मानव-जीवन के बहुत से पहलू हैं, जैसे : आध्यात्मिक, नैतिक, भौतिक, सांसारिक आदि। इसी तरह उसके क्षेत्र भी अनेक हैं, जैसे: व्यक्तिगत, दाम्पत्य, पारिवारिक, सामाजिक, सामूहिक, राजनीतिक, आर्थिक आदि। क़ुरआन, मनुष्य के सम्पूर्ण तथा बहुपक्षीय मार्गदर्शक ईश-ग्रंथ के रूप में इन्सानों और इन्सानी समाज को शिक्षाएं देता है। इनमें से कुछ, यहां प्रस्तुत की जा रही हैं:

क़ुरआन में माता-पिता और सन्तान से संबंधित शिक्षाएं
क़ुरआन में माता-पिता और सन्तान से संबंधित शिक्षाएं
12 March 2020
Views: 172

क़ुरआन समस्त मानवजाति के लिए दुनिया में जीवन बिताने का मार्गदर्शन बना कर भेजा गया है। इसमें जीवन के हरेक विबाग से संबंधित शिक्षाएं मौजूद हैं। चूंकि क़ुरआन जगत के स्रष्टा की रचना है, इसलिए इसकी शिक्षाएं कभी आउटडेटेड होनेवाली नहीं है।दुनिया चाहे कितनी भी विकसित हो जाए, ङालात चाहे कितने भी बदल जाएं, क़ुरआन से लोगों को मार्गदर्शन मिलता रहेगा। प्रस्तुत लेख में क़ुरआन की उन शिक्षाओं को जमा करने का प्रयास किया गया है, जिनका संबंध माता-पिता और सन्तान से है। आइए देखते हैं कि क़ुरआन में दोनों पक्षों के अधिकारों और दायित्वों को कितने तार्किक ढंग से और कितने विस्तार से बयान किया गया है।

कु़रआन: ईश्वर का संदेश, समस्त मानवजाति के लिए
कु़रआन: ईश्वर का संदेश, समस्त मानवजाति के लिए
11 March 2020
Views: 494

‘क़ुरआन’ सर्वजगत के रचयिता और पालनहार का उसके समस्त बंदों के नाम संदेश है। यह संदेश इतिहास के पूरे प्रकाश में ईश्वर के संदेशवाहक (पैग़ामबर) हज़रत मुहम्मद (सल्ल॰) पर ईशवाणी के रूप में अवतरित हुआ। यह संदेश मूलत: अरबी भाषा में है, लेकिन इसके अनुवाद संसार की लगभग सभी भाषाओं में मौजूद हैं। क़ुरआन में ईश्वर ने इन्सानों को मार्गदर्शन, शिक्षाएं, नियम, आदेश व निर्देश दिए हैं। उसे संसार में जीवन गुज़ारने का तरीक़ा बताया है और बताया है कि किस तरह उसे मरने के बाद शाश्वत सुख का स्वर्ग प्राप्त हो सकता है।ईश्वर ने यह ज़िम्मेदारी भी ली है कि उसके मूल संदेश में क़ियामत तक कोई हेरफेर नहीं की जा सकती है।

ईशग्रंथ कु़रआन में अनाथों, मुहताजों, नातेदारों आदि से संबंधित शिक्षाएं
ईशग्रंथ कु़रआन में अनाथों, मुहताजों, नातेदारों आदि से संबंधित शिक्षाएं
11 March 2020
Views: 179

क़ुरआन, चूंकि सर्वजगत के रचयिता और पालनहार की वाणी है, इसलिए इसमें समस्त मानवजाति के कल्याण और भलाई की बात की गई है और उसके लिए नियम दिए गए हैं। इसमें मनुष्यों को विभन्न वर्गों, क्षेत्रों, जातियों, नस्लों और रंगों में बांटकर उनमें भेदभाव नहीं किया गया है। हर तरह के भेदभाव से ऊपर उठकर हरेक को समान अधिकार दिए गए हैं साथ ही हरेक को कुछ दायित्वों के पालन करने के आदेश भी दिए गए हैं। संसार में कमज़ोर वर्गों का हमेशा शोषण किया जाता रहा है, इस लिए क़ुरआन ने कमज़ोर और वंचित वर्गों के अधिकारों पर बहुत ज़ोर दिया है और उन्हें समानता का अधिकार देने की ताकीद की है। इस लेख में क़ुरआन की ऐसी ही शिक्षाओं का उल्लेख किया जा रहा है।

महिलाओं के बारे में कु़रआन की शिक्षाएं
महिलाओं के बारे में कु़रआन की शिक्षाएं
11 March 2020
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कु़रआन में महिला-पुरुष संबंधों को बहुत महत्व दिया गया है, इस लिए कि मानव समाज की मौलिक इकाई ‘परिवार’ की संरचना महिला-पुरुष संबंधों पर ही निर्भर है। इस संबंध को सुगम और सुदृढ़ बनाए रखने के लिए दोनों पक्षों को विस्तार से आदेश और निर्देश दिए गए हैं। विवाद और बिगाड़ हो जाने पर सुधार के रास्ते बताए गए हैं। दोनों पक्षों को अधिकारों और दायित्वों के बीच संतुलन बनाए रखने की ताकीद की गई है। विशेष रूप से पुरुषों को महिलाओं के मामले में वहुत सतर्क रहने और अल्लाह से डरते रहने का आदेश दिया गया है। आइए स विषय पर क़ुरआन की आयतों का अध्ययन करते हैं।

क़ुरआन के वैज्ञानिक सत्य
क़ुरआन के वैज्ञानिक सत्य
11 March 2020
Views: 174

क़ुरआन ईश्वर की रचना है और ईश्वर द्वारा अवतरित ग्रंथ है जो सभी इन्सानों के मार्गदर्शन के लिए भेजा गया है। इसकी अद्भुत शैली से यह बात स्वयं ही स्पष्ट हो जाती है कि यह एक ईश-ग्रंथ है और इसके लिए किसी अतिरिक्त प्रमाण की आवश्यकता नहीं पड़ती। वैसे तो क़ुरआन विज्ञान की पुस्तक नहीं है परन्तु इसमें कुछ ऐसे वैज्ञानिक तथ्य मौजूद हैं, जिन्हें अब से 14 सदी पूर्व ईश्वर के अतिरिक्त कोई नहीं जान सकता था और जिनका ज्ञान इन्सान को बीसवीं सदी में पहुंचकर अनेक उपकरणों का प्रयोग करने के बाद हुआ। यह इसके ईश-ग्रंथ होने का एक ठोस प्रमाण है। इन सभी अंशों को एकत्रित किया जाए तो एक लम्बी सूची बन जाएगी। इनमें से कुछ यहां संक्षेप में प्रस्तुत हैं।

क़ुरआन  के बारे में
क़ुरआन के बारे में
11 March 2020
Views: 221

क़ुरआन समस्त मानवजाति के लिए ईश्वर की ओर से भेजा गया मार्गदर्शन है। क़ुरआन की प्रसांगिकता तब तक बनी रहेगी, जब तक यह दुनिया मौजूद है, क्योंकि यह ईश्वर की ओर से भेजा गया अंतिम मार्गदर्शन है। क़ुरआन का शाब्दिक अर्थ है, ‘जिसे बार-बार पढ़ा जाए’। अर्थात वह ग्रंथ जिसे बार-बार पढ़ा जाए। स्पष्ट है कि मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए ज़रूरी है कि इसे बार-बार पढ़ा जाए। क़ुरआन ईशग्रंथों की दीर्घकालिक श्रृंखला की अन्तिम कड़ी के रूप में अवतरित हुआ। इसका अवतरण जिस शब्द से शुरू हुआ। वह था–‘इक़रा’, यानी ‘‘पढ़ो!’’ लगभग 1400 वर्ष से अधिक समय बीत गया, क़ुरआन निरंतर पढ़ा जा रहा है। कोई भी क्षण ऐसा नहीं बीतता जब विश्व के विभिन्न भागों में लाखों-करोड़ों लोग इसका पाठ न कर रहे हों।