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नमाज़  का आसान तरीक़ा

नमाज़ का आसान तरीक़ा

हमारे यहां जिसे नमाज़ कहा जाता है,वह अरबी के शब्द ‘सलात’ का फ़ारसी अनुवाद है। सलात का अर्थ है दुआ। नमाज़ इस्लाम का दूसरा स्तंभ है। मुसलमान होने का पहला क़दम शहादत (गवाही) का ऐलान करना है। यानी यह ऐलान कि मैं गवाही देता हूँ कि अल्लाह के सिवा कोई इबादत के लायक़ नहीं और मैं गवाही देता हूँ कि मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम अल्लाह के बन्दे और रसूल हैं। हर बालिग़ मुसलमान पर प्रति दिन पाँच वक़्त की नमाज़ें अदा करना फ़र्ज़ (अनिवार्य) है। हर नमाज़ को उस के निर्धारित समय पर अदा करना ज़रूरी है।साथ ही मर्दों के लिए ज़रूरी है कि वे प्रति दिन पाँच नमाज़ें मस्जिद में जमाअत के साथ अर्थात सामूहिक रूप से अदा करें।
नमाज़ अदा करना इस्लामी आस्था का अनिवार्य हिस्सा है । हर नमाज़ में पढ़ी जाने वाली रकअत की संख्या निर्धारित है। हर नमाज़ के लिए रकअत की सही संख्या को समझना ज़रूरी है ताकि कोई अपनी नमाज़ सही तरीक़े से अदा कर सके। नमाज़ की तैयारी के लिए सही तरीक़े से वुज़ू करना चाहिए और साफ़ और शांत जगह का चुनाव करना चाहिए। हर नमाज़ में क़ुरआन की कुछ आयतें पढ़नी ज़रूरी हैं। नमाज़ एक शारीरिक इबादत है जिसमें खड़े होना, झुकना, बैठना और सजदा करना शामिल है, हर हालत में अलग अलग दुआएं पढ़ी जाती हैं।बालिग़ होने से पहले नमाज़ की पूरी तरकीब सीख लेनी ज़रूरी है।

नमाज़ की कुछ शर्ते हैं। जिनका पूरा किये बिना नमाज़ नहीं हो सकती या सही नहीं मानी जा सकती। कुछ शर्तो का नमाज़ के लिए होना ज़रूरी है, तो कुछ शर्तो का नमाज़ के लिए पूरा किया जाना ज़रूरी है।

 

1.नमाज़ की शर्तें
2. वजू का तरीक़ा 
3. गुस्ल का तरीक़ा 
4. नीयत 
5. अज़ान
6. नमाज़ का तरीक़ा 
   1. तीन रक’आत नमाज़ का तरीक़ा 
   2. चार रक’आत नमाज़ का तरीक़ा 
7. नमाज़ में पढ़ी जाने वाली कुछ सूरतें
   1. सूरह फातिहा
   2. सूरह इख़लास
   3. सूरह फ़लक़
   4. सूरह नास
8. सलाम फेरने के बाद की दुआएं                                                

नमाज़ की शर्तें

नमाज़ की कुछ शर्तें हैं। जिनका पूरा किये बिना नमाज़ नहीं हो सकती या सही नहीं मानी जा सकती। कुछ शर्तों का नमाज़ के लिए होना ज़रूरी है, तो कुछ शर्तों का नमाज़ के लिए पूरा किया जाना ज़रूरी है। तो कुछ शर्तों  का नमाज़ पढ़ते वक्त होना ज़रूरी है, नमाज़ की कुल शर्तें कुछ इस तरह से है।

  1. बदन का पाक होना
  2. कपड़ों का पाक होना
  3. नमाज़ पढने की जगह का पाक होना
  4. बदन के सतर का छुपा हुआ होना
  5. नमाज़ का वक़्त होना
  6. किबले की तरफ मुह होना
  7. नमाज़ की नीयत यानि इरादा करना

ख़याल रहे की पाक होना और साफ होना दोनों अलग अलग चीज़े है। पाक होना शर्त है, साफ होना शर्त नहीं है। जैसे बदन, कपडा या जमीन नापाक चीजों से भरी हुवी ना हो. धुल मिट्टी की वजह से कहा जा सकता है की साफ़ नहीं है, लेकिन पाक तो बहरहाल है।

1. बदन का पाक होना

– नमाज़ पढने के लिए बदन पूरी तरह से पाक होना ज़रूरी है। बदन पर कोई नापाकी लगी नहीं होनी चाहिए. बदन पर कोई गंदगी लगी हो या नापाकी लगी हो तो वज़ू या ग़ुस्ल कर के नमाज़ पढनी चाहिए।

2. कपड़ों का पाक होना

– नमाज़ पढने के लिए बदन पर पहना हुआ कपडा पूरी तरह से पाक होना ज़रूरी है। कपडे पर कोई नापाकी लगी नहीं होनी चाहिए. कपडे पर कोई गंदगी लगी हो या नापाकी लगी हो तो कपडा धो लेना चाहिए या दूसरा कपडा पहन कर नमाज़ पढ़ लेनी चाहिए।

3. नमाज़ पढने की जगह का पाक होना

– नमाज़ पढने के लिए जिस जगह पर नमाज़ पढ़ी जा रही हो वो जगह पूरी तरह से पाक होना ज़रूरी है। जगह पर अगर कोई गंदगी लगी हो या नापाकी लगी हो तो जगह धो लेनी चाहिए या दूसरी जगह नमाज़ पढ़ लेनी चाहिए।

4. बदन के सतर का छुपा हुआ होना

– नाफ़ के निचे से लेकर घुटनों तक के हिस्से को मर्द का सतर कहा जाता है। नमाज़ में मर्द का यह हिस्सा अगर दिख जाये तो नमाज़ सही नहीं मानी जा सकती.

5. नमाज़ का वक़्त होना

– कोई भी नमाज़ पढने के लिए नमाज़ का वक़्त होना ज़रूरी है. वक्त से पहले कोई भी नमाज़ नहीं पढ़ी जा सकती और वक़्त के बाद पढ़ी गयी नमाज़ कज़ा नमाज़ मानी जाएगी।

6. किबला की तरफ़ मुंह होना

– नमाज़ क़िबला रुख़ होकर पढ़नी चाहिए। मस्जिद में तो इस बारे में फिक्र करने की कोई बात नहीं होती, लेकिन अगर कहीं अकेले नमाज़ पढ़ रहे हो तो क़िबले की तरफ मुंह करना याद रखे

7. नमाज़ की नीयत यानि इरादा करना

– नमाज पढ़ते वक़्त नमाज़ पढ़ने का इरादा करना चाहिए।

वज़ू का तरीक़ा 

नमाज़ के लिए वज़ू शर्त है। वज़ू के बिना आप नमाज़ नहीं पढ़ सकते। अगर पढेंगे तो वो सही नहीं मानी जाएगी। वज़ू  का तरीक़ा यह है की आप नमाज़ की लिए वज़ू  का इरादा करें । और वज़ू शुरू करने से पहले बिस्मिल्लाह कहें. और इस तरह से वज़ू करे।

  1. कलाइयों तक हाथ धोंये
  2. कुल्ली करे
  3. नाक में पानी चढ़ाएँ 
  4. चेहरा धोएँ 
  5. दाढ़ी में ख़िलाल करें
  6. दोनों हाथ कुहनियों तक धोंये
  7. एक बार सर का और कानों का मसह करें
    (मसह का तरीक़ा यह है की आप अपने हाथों को गीला कर के एक बार सर और दोनों कानों पर फेर लें। कानों को अंदर बाहर से अच्छी तरह साफ़ करें। )
  8. दोनों पांव टख़नों तक धोंये।

यह वज़ू का तरीक़ा है। इस तरीके से वज़ू करते वक़्त हर हिस्सा कम से कम एक बार या ज़्यादा से ज़्यादा तीन बार धोया जा सकता है। लेकिन मसाह सिर्फ एक ही बार करना है। इस से ज़्यादा बार किसी अज़ाको धोने की इजाज़त नहीं है, क्योंकि वह पानी की बर्बादी मानी जाएगी और पानी की बर्बादी करने से अल्लाह के रसूल ने मना किया है।

ग़ुस्ल का तरीक़ा 

अगर आपने अपने बीवी से सोहबत की है, या फिर रात में आपको अहेतलाम हुआ है, या आपने लम्बे अरसे से नहाया नहीं है तो आप को गुस्ल करना ज़रूरी है। ऐसी हालत में ग़ुस्ल के बिना वज़ू नहीं किया सकता. ग़ुस्ल का तरीक़ा कुछ इस तरह है।

  1. दोनों हाथ कलाहियो तक धो लीजिये
  2. शर्मगाह पर पानी डाल कर धो लीजिये
  3. ठीक उसी तरह सारी चीज़ें कीजिये जैसे वजू में करते हैं
  4. कुल्ली कीजिये
  5. नाक में पानी डालिए
  6. और पुरे बदन पर सीधे और उलटे जानिब पानी डालिए
  7. सर धो लीजिये
  8. हाथ पांव धो लीजिये।

यह गुस्ल का तरीक़ा है। याद रहे ठीक वज़ू की तरह गुस्ल में भी बदन के किसी भी हिस्से को ज़्यादा से ज़्यादा 3 ही बार धोया जा सकता है। क्योंकि पानी का ज़रूरत से ज़्यादा इस्तेमाल इस्लाम में गैर पसंदीदा अमल माना गया है।

नीयत

नमाज़ की नीयत का तरीक़ा यह है की बस दिल में नमाज़ पढने का इरादा करे। आपका इरादा ही नमाज़ की नीयत है। इस इरादे को ख़ास किसी अल्फाज़ से बयान करना, ज़बान से पढना ज़रूरी नहीं।  

अज़ान

अल्लाहु अकबर अल्लाहु अकबर
अल्लाहु अकबर अल्लाहु अकबर

अशहदु अल्लाह इलाहा इल्लला
अशहदु अल्लाह इलाहा इल्लला

अशहदु अन्न मुहम्मदुर्रसुल अल्लाह
अशहदु अन्न मुहम्मदुर्रसुल अल्लाह

हैय्या अलस सल्लाह
हैय्या अलस सल्लाह

हैय्या अलल फलाह
हैय्या अलल फलाह

अल्लाहु अकबर अल्लाहु अकबर
ला इलाहा इल्ललाह

यह है वो अज़ान जो हम दिन में से पांच मर्तबा हर रोज सुनते है।  जब हम यह अज़ान सुनते हैं, तब इसका जवाब देना हमपर लाज़िम आता है और यह जवाब कैसे दिया जाये? बस वही बात दोहराई जाये जो अज़ान देने वाला कह रहा है। वो कहें अल्लाहु अकबर तो आप भी कहो अल्लाहु अकबर…. इसी तरह से पूरी अज़ान का जवाब दिया जाये तो बस ‘हैंय्या अलस सल्लाह’ और ‘हैंय्या अलल फलाह’ के जवाब में आप कहें  ‘ला हौला वाला कुव्वता इल्ला बिल्लाह’

अज़ान के बाद की दुआ

अल्लाहुम्मा रब्बा हाज़ीहिल दावती-त-ताम्मति वस्सलातिल कायिमति आती मुहम्मद नील वसिलता वल फ़ज़ीलता अब’असहू मक़ामम महमूद निल्ल्जी अ’अत्तहू”

यह दुआ अज़ान होने के बाद पढ़े. इसका मतलब है, “ऐ अल्लाह! ऐ इस पूरी दावत और खड़े होने वाली नमाज़ के रब! मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) को ख़ास नज़दीकी और ख़ास फजीलत दे और उन्हें उस मक़ामे महमूद पर पहुंचा दे जिसका तूने उनसे वादा किया है. यकीनन तू वादा खिलाफी नहीं करता.”
अज़ान और इक़ामत के बीच के वक्त में दुआ करना बहेतर मना गया है। 

नमाज़ का तरीक़ा

नमाज़ का तरीक़ा बहुत आसान है। नमाज़ या तो 2 रक’आत की होती है, या 3, या 4 रक’आत की। एक रक’आत में एक क़याम, एक रुकू और दो सजदे होते है। नमाज़ का तरीक़ा कुछ इस तरह है –

  1. नमाज़ के लिए क़िबला रुख़ होकर नमाज़ के इरादे के साथ अल्लाहु अकबर कहें (तकबीर ) फिर बांध लीजिये।
  2. हाथ बाँधने के बाद सना पढ़िए। आपको जो भी सना आता हो वो सना  आप पढ़ सकते है। सना के मशहूर अल्फाज़ इस तरह है सुबहानका अल्लाहुम्मा व बिहम्दीका व तबारका इस्मुका व तआला जद्दुका वाला इलाहा गैरुका” (अर्थात: ए अल्लाह मैं तेरी पाकि बयां करता हु और तेरी तारीफ करता हूँ और तेरा नाम बरकतवाला है, बुलंद है तेरी शान और नहीं है माबूद तेरे सिवा कोई।)
  3. इसके बाद त’अव्वुज पढ़े। त’अव्वुज के अल्फाज़ यह है अउजू बिल्लाहि मिनश शैतान निर्रजिम. बिस्मिल्लाही र्रहमानिर रहीम।” 
  4. इसके बाद सूरह फातिहा पढ़े।
  5. सूरह फ़ातिहा के बाद कोई एक सूरह और पढ़े।
  6. इसके बाद अल्लाहु अकबर (तकबीर) कह कर रुकू में जायें।
  7. रुकू में जाने के बाद अल्लाह की तस्बीह बयान करे। आप जो अल्फाज़ में चाहे अल्लाह की तस्बीह बयान कर सकते हैं। तस्बीह के मशहूर अल्फाज़ यह है, सुबहान रब्बी अल अज़ीम (अर्थात: पाक है मेरा रब अज़मत वाला)
  8. इसके बाद समीअल्लाहु लिमन हमीदा कहते हुवे रुकू से खड़े हो जाये। (अर्थात: अल्लाह ने उसकी सुन ली जिसने उसकी तारीफ की, ऐ हमारे रब तेरे ही लिए तमाम तारीफ़ें हैं । )
  9. खड़े होने के बाद रब्बना व लकल हम्द , हम्दन कसीरन मुबारकन फिही जरुर कहें।
  10. इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुवे सज्दे में जायें।
  11. सज्दे में फिर से अल्लाह की तस्बीह बयान करें । आप जो अल्फाज़ में चाहे अल्लाह की तस्बीह बयान कर सकते हैं। तस्बीह के मशहूर अल्फाज़ यह है सुबहान रब्बी अल आला (अर्थात: पाक है मेरा रब बड़ी शान वाला है)
  12. इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुवे सज्दे से उठकर बैठें।
  13. फिर दोबारा अल्लाहु अकबर कहते हुवे सज्दे में जायें।
  14. सज्दे में फिर से अल्लाह की तस्बीह करें। आप जिस अल्फाज़ में चाहें अल्लाह की तस्बीह बयान कर सकते हैं। या फिर वही कहें जो आम तौर पर सभी कहते हें, सुबहान रब्बी अल आला

यह हो गई नमाज़ की एक रक’आत। इसी तरह उठ कर आप दूसरी रक’अत पढ़ सकते हैं। दो रक’आत वाली नमाज़ में सज्दे के बाद तशहुद में बैठिये.

15. तशहुद में बैठ कर सबसे पहले अत्तहिय्यात पढ़िए। अत्तहिय्यात के अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने सिखाये हुवे अल्फाज़ यह हैं,
अत्ताहियातु लिल्लाहि वस्सलवातु वत्तैयिबातू अस्सलामु अलैका अय्युहन नाबिय्यु रहमतुल्लाही व बरकताहू अस्सलामु अलैना व आला इबादिल्लाहिस सालिहीन अशहदु अल्ला इलाहा इल्ललाहू व अशहदु अन्न मुहम्मदन अब्दुहु व रसुलहू’

16. इसके बाद दरूद पढ़े। दरूद के अल्फाज़ यह है,
अल्लाहुम्मा सल्ली अला मुहम्मद व आला आली मुहम्मद कमा सल्लैता आला इब्राहिम वा आला आली इब्राहिमा इन्नका हमिदुम माजिद. अल्लाहुम्मा बारीक़ अला मुहम्मद व आला आली मुहम्मद कमा बारकता आला इब्राहिम वा आला आली इब्राहिमा इन्नका हमिदुम माजिद’

17. इसके बाद दुआ ए मसुरा पढ़े। मतलब कोई भी ऐसी दुआ जो कुर’आनी सुरों से हट कर हो। वो दुआ कुर’आन में से ना हो। साफ साफ अल्फाज़ में आपको अपने लिए जो चाहिए वो मांग लीजिये। दुआ के अल्फाज़ मगर अरबी ही होने चाहिए।

18. आज के मुस्लिम नौजवानों के हालत देखते हुवे उन्हें यह दुआ नमाज़ के आखिर में पढनी चाहिए। अल्लाहुम्मा इन्नी अस’अलुका इलमन नाफिया व रिज्क़न तैय्यिबा व अमलम मुतक़ब्बला.’
– जिसका मतलब है, ‘ऐ अल्लाह मैं तुझसे इसे इल्म का सवाल करता हु जो फायदेमंद हो, ऐसे रिज्क़ का सवाल करता हु तो तय्यिब हो और ऐसे अमल का सवाल करता हु जिसे तू कबूल करे.’

19. इस तरह से दो रक’अत नमाज़ पढ़ कर आप सलाम फेर सकते हैं। अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह’ कहकर आप सीधे और उलटे जानिब सलाम फेरें।

✦ तीन रक’आत नमाज़ का तरीक़ा :

दो रक’आत नमाज़ पढने के बाद तशहुद में सिर्फ अत्तहियात पढ़ लें  और फिर तीसरे रक’आत पढ़ें के लिए उठ कर खड़े हो जाये. इस रक’अत में सिर्फ सूरह फातिहा पढ़े और रुकू के बाद दो सज्दे कर के तशहुद में बैठें. तशहुद उसी तरह पढ़े जैसे उपर सिखाया गया है और अत्ताहियात, दरूद और दुआ ए मसुरा पढने के बाद सलाम फेर दें।

✦ चार रक’आत नमाज़ का तरीक़ा :

दो रक’आत नमाज़ पढने के बाद तशहुद में सिर्फ अत्तहियात पढ़ ले और फिर तीसरे रक’अत पढने के लिए उठ कर खड़े हो जाएँ । इस रक’अत में सिर्फ सूरह फातिहा पढ़ें और रुकू के बाद दो सज्दे कर के चौथी रक’आत के लिए खड़े हो जाएँ । चौथी रक’अत भी वैसे ही पढ़ें जैसे तीसरी रक’आत पढ़ी गई है। चौथी रक’अत पढने के बाद तशहुद में बैठें। तशहुद उसी तरह पढ़ें जैसे उपर सिखाया गया है और अत्ताहियात, दरूद और दुआ ए मसुरा पढने के बाद सलाम फेर दें।

नमाज़ में पढ़ी जाने वाली कुछ सूरतें

सूरह फातिहा:

अलहम्दु लिल्लाहि रब्बिल आलमीन. अर्रहमान निर्रहीम. मालिकी यौमेद्दीन. इय्याका नाबुदु व इय्याका नस्तईन. इहदिनस सिरातल मुस्तकीम. सिरातल लजिना अन अमता अलैहिम, गैरिल मग्ज़ुबी अलैहिम वला ज़ाल्लिन। 

सूरह इखलास:

कुलहु अल्लाहु अहद. अल्लाहु समद. लम यलिद वलम युअलद. वलम या कुल्लहू कुफुअन अहद। 

सूरह फ़लक़:

कुल आउजू बिरब्बिल फ़लक़. मिन शर्री मा खलक. मिन शर्री ग़ासिक़ीन इज़ा वक़ब. व मिन शर्री नफ्फासाती फिल उक़द. व मिन शर्री हासिदीन इज़ा हसद। 

सूरह नास:

कुल आउजू बिरब्बिन्नास. मलिकीन्नास. इलाहीन्नास. मिन शर्रिल वसवासील खन्नास. अल्लजी युवसविसू फी सुदुरीन्नास. मिनल जिन्नती वन्नास। 

✦ सलाम फेरने के बाद की दुआएं

सलाम फेरने के बाद आप यह दुआएं पढ़ें।

1. एक बार ऊँची आवाज़ में ‘अल्लाहु अकबर’ कहें

2. फिर तीन बार ‘अस्तगफिरुल्लाह’ कहें

3. एक बार ‘अल्लाहुम्मा अन्तास्सलाम व मिनकस्सलाम तबारकता या जल जलाली वल इकराम’ पढ़े।

4. इसके बार 33 मर्तबा सुबहान अल्लाह, 33  मर्तबा अलहम्दु लिल्लाह और 33 मर्तबा अल्लाहु अकबर पढ़ें।

5. आखिर में एक बार ला इलाहा इल्ललाहु वहदहू ला शरीका लहू लहुल मुल्कू वलहूल हम्दु वहुवा आला कुल्ली शैइन क़दीर’ यह दुआ पढ़े.

6. फिर एक बार अयातुल कुर्सी पढ़ लें।

7. ऊपर बताये गए सूरह इखलास, सूरह फ़लक़ और सूरह नास एक एक बार पढ़ लें।

स्रोत

अज़ान और नमाज़ क्या है

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