بسم الله الذي لا يضر مع اسمه شيء في الأرض ولا في السماء وهو السميع العليم अल्लाह के नाम पर, जिसका नाम पृथ्वी या आसमान में कुछ भी नुकसान नहीं पहुँचाता है, और वह सुनने वाला, जानने वाला है
डॉ एम ए श्रीवास्तव अब यह बात छिपी नहीं रही कि वेदों, उपनिषदों और पुराणों में इस सृष्टि के अंतिम पैग़म्बर (संदेष्टा) हज़रत मुहम्मद (सल्ल॰) के आगमन की भविष्यवाणियां की गई हैं। मानवतावादी सत्यगवेषी विद्वानों ने ऐसे अकाट्य प्रमाण पेश कर दिए, जिससे सत्य खुलकर सामने आ गया है।
आज बहुत-सी समस्याओं की असल वजह एक-दूसरे के बारे में सही जानकारी का न होना है। यह बड़े दुख की बात है कि जानकारी हासिल करने के इतने अधिक संसाधन मौजूद होते हुए भी हम सभ्य एवं शिक्षित कहे जानेवाले लोग परस्पर एक-दूसरे के बारे में अंधरे में रहते हैं। जानकारी न होने और द्वेष के कारण ऐसा भी होता है कि मुनष्य ऐसी बात का दुश्मन हो जाता है जो वास्तव में उसकी भलाई और कल्याण की है। ऐसा ही कुछ इस्लाम और उसकी शिक्षाओं के साथ हुआ है और बराबर हो रहा है।
जब किसी व्यक्ति के लिए पानी का प्रयोग कष्ठकारण हो या पानी उपलब्ध न हो तो उस समय अल्लाह तआला ने मुसलमानों पर सरलता करते हुए तयम्मुम करने की अनुमति दी है
डॉ. अब्दुल रशीद अगवान
हिजाब (परदा) का विरोध करने से पहले इस्लाम की संपूर्ण जीवन-व्यवस्था, विशेष रूप से पर्दे के क़ानून का एक बार निष्पक्ष भाव से अध्ययन अवश्य कर लें। हिजाब के विरोध का आधार कितना कमज़ोर है इसकी सत्यता को इसी बात से समझा जा सकता है कि आज पूरे संसार में इस्लाम को स्वीकार करने वाले लोगों में महिलाओं का अनुपात सबसे अधिक है। वहीं महिलाएं जिन्हें पर्दे से भयभीत होकर इस्लाम से दूर भागना चाहिए था, वही आज हिजाब धारण करके अपने आपको सुरक्षित और स्वतंत्र महसूस करती हैं।
हज़रत मुहम्मद (सल्ल॰)‘अन्तिम ईशदूत क्यों? एक बौद्धिक विश्लेषण लेख डॉ। वेद प्रकाश उपाध्याय
नमाज़ की कुछ शर्ते हैं। जिनका पूरा किये बिना नमाज़ नहीं हो सकती या सही नहीं मानी जा सकती। कुछ शर्तो का नमाज़ के लिए होना ज़रूरी है, तो कुछ शर्तो का नमाज़ के लिए पूरा किया जाना ज़रूरी है।