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सामयिकी

Found 15 Posts

एनपीआर से पहले कोरोना: कालक्रम बदल गया
एनपीआर से पहले कोरोना: कालक्रम बदल गया
21 March 2020

सनातन प्रकाश ऐसा कहा जाता है कि एनपीआर / एनआरसी / सीएए (NPR/NRC/CAA ) के बाद, पूरे देश की आधी से अधिक आबादी, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति की हो, अपनी नागरिकता खो देगी।

बाबा साहब डा. अम्बेडकर और इस्लाम
बाबा साहब डा. अम्बेडकर और इस्लाम
30 March 2020

आर एस आदिल (पूर्व दलित) मूल रूप से पशु और मनुष्य में यही विशेष अंतर है कि पशु अपने विकास की बात नहीं सोच सकता, मनुष्य सोच सकता है और अपना विकास कर सकता है। हिन्दु धर्म ने दलित वर्ग को पशुओं से भी बदतर स्थिति में पहुंचा दिया है, यही कारण है कि वह अपनी स्थिति परिवर्तन के लिए पूरी तरह कोशिश नहीं कर पा रहा है। हाँ, पशुओं की तरह ही वह अच्छे चारे की खोज में तो लगा है लेकिन अपनी मानसिक ग़ुलामी दूर करने के अपने महान उद्देश्य को गंभीरता से नहीं ले रहा है।

कोरोना काल का चिंतन
कोरोना काल का चिंतन
26 July 2020

कोरोना महामारी ने विश्व में एक क़हर बरपा कर रखा है। 200 से ऊपर देशों में इसका प्रभाव हुआ मगर कई बड़े देश और वहां के रहने वाले इसके ख़ास शिकार हुए हैं।

अब कोई यह नहीं कहता कि कोरोना वायरस मुसलमानों से फैला
अब कोई यह नहीं कहता कि कोरोना वायरस मुसलमानों से फैला
10 July 2020

कोरोना वायरस संक्रमण के मामले में भारत दुनिया में तीसरे स्थान पर आ गया है। वहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टेडरोस अदनाम गै़बरियसस ने चेतावनी देते हुए कहा है

दिव्य मार्ग की पहचान: रिलीजन, धर्म और दीन
दिव्य मार्ग की पहचान: रिलीजन, धर्म और दीन
10 July 2020

मनुष्यों के लिए किसी जीवन-पद्धति पर विश्वास, अनुसरण और व्यवहार बहुत महत्वपूर्ण हैं। यह उन्हें जीवन का लक्ष्य और उद्देश्य देती है और उनके जीवन को सकारात्मक तरीक़े से बदल देती है।

सभ्यता का पाखंड
सभ्यता का पाखंड
30 July 2020

कौन सभ्य है और कौन असभ्य, यह जानने के लिए दुनिया में दो तरह के पैमाने रहे हैं। इनमें से पहला और सही पैमाना मूल्य आधारित है।

धर्म, इतिहास और संस्कृति
धर्म, इतिहास और संस्कृति
13 August 2020

डा अब्दुल रशीद अगवान

समलैंगिकता का फ़ितना
समलैंगिकता का फ़ितना
29 July 2021

लेखक: डॉक्टर मुहम्मद रज़िउल इस्लाम नदवी

सीएए और एनआरसी: न्याय क्या है?
सीएए और एनआरसी: न्याय क्या है?
03 December 2021

ग़ुलाम सरवर नदवी समस्त मानव जाति का रचयिता एक ही है, उसी ने तमाम इंसानों को एक समान पैदा किया, हम सब के माता और पिता एक ही हैं। हम सब के बाप पहले इंसान आदम और माँ हौव्वा हैं । जन्म के आधार पर कोई छोटा कोई बड़ा नहीं है । श्रेष्ठ वही है जिसके कर्म अच्छे हों, जो अल्लाह से सबसे ज्यादा डरने वाला और इंसानों से सब से अधिक प्रेम करने वाला हो । अल्लाह (ईश्वर) भी एक है, इंसान भी एक है, धरती भी एक है, और सारा ब्रह्मांड एक है । यह शिक्छा हमें इस धरती पर भेजे गए पहले ईशदूत आदम से लेकर अंतिम ईशदूत मुहम्मद ﷺ सब ने दी है।

मैदान में नमाज़: आपत्ति क्यों ?
मैदान में नमाज़: आपत्ति क्यों ?
28 November 2021

इधर लगभग तीन-चार महीनों से गुरुग्राम और उसके अगल-बगल के क्षेत्रों मे खुले में जुमा (शुक्रवार) की नमाज़ पढ़ने पर काफी हंगामा बरपा है। हिंदूवादी संगठनों ने इस पर जबरदस्त आपत्ति जताई है । उनका कहना है कि मुसलमान सार्वजनिक स्थानों पर खुले में नमाज क्यों पढ़ते हैं? उन्हें नमाज पढ़ना है तो वे मस्जिद में पढ़ें । उनका यह भी आरोप है कि मुसलमान अपनी शक्ति का प्रदर्शन करना चाहते हैं और हमें चिढ़ाना चाहते हैं । प्रथम दृष्टया उनकी यह बात सत्य एवं तर्कसंगत लगती है । परंतु यहां पर थोड़ी देर रुक कर चिंतन किया जाए तो असल बात कुछ और सामने आएगी ।

कृषि और किसान : इस्लाम की दृष्टि में
कृषि और किसान : इस्लाम की दृष्टि में
07 December 2021

हाफिज़ शानुद्दीन किसान उस व्यक्तित्व का नाम है जो ज़मीन का सीना चीर कर दिन-रात खाद्य पदार्थों को उगाने के लिए कड़ी मेहनत करता है । इस मेहनत के दौरान न तो उन्हें सर्दी की कोई परवाह होती है, न गर्मी का कोई एहसास । न बिजली और बारिश उनके कदम रोकते हैं

बढ़ता अपराध, समस्या और निदान
बढ़ता अपराध, समस्या और निदान
03 December 2021

आज के दौर में बढ़ता अपराध हर स्तर पर लोगों के लिए विचारणीय एवं चिन्ता का विषय बना हुआ है। चिन्तक और विचारक इसका इलाज ढूँढ निकालने में असफल नज़र आते हैं, बल्कि नौबत यहाँ तक पहुँच चुकी है कि 'मर्ज़ बढ़ता गया जूँ-जूँ दवा दी'। बहरहाल यह एक ऐसी ज्वलन्त समस्या है जिसके हल करने में प्रत्येक मनुष्य को अपनी भूमिका अदा करनी चाहिए। हम यह यक़ीन रखते हैं कि इस्लाम को नज़रअन्दाज़ करके इस समस्या को हल नहीं किया जा सकता। इसलिए इस्लाम के परिप्रेक्ष्य में इस समस्या के हल को लोगों के समक्ष लाना हम अपना कर्तव्य समझते हैं।

आतंकवाद और पश्चिमी आक्रामक नीति
आतंकवाद और पश्चिमी आक्रामक नीति
08 December 2021

11 सितम्बर 2001 ई० का दिन अमेरिका के इतिहास में एक काले, अति दुखद और अविस्मरणीय दिन की हैसियत प्राप्त कर चुका है। कहा जा रहा है कि जिस प्रकार 72 वर्ष पूर्व, 1929 ई० में अमेरिकी शेयर बाज़ार के बताशे की तरह बैठ जाने (The Great Crash) से और फिर 60 वर्ष पूर्व 1941 ई० में पर्ल हार्बर पर अचानक जापानी हमले से, जिसमें लगभग ढाई हज़ार अमेरिकी हताहत हुए थे, अमेरिका की अर्थव्यवस्था, राजनीति, और अन्तर्राष्ट्रीय भूमिका में मूलभूत परिवर्तन आया था, बिलकुल उसी तरह 11 सितम्बर 2001 ई० की इस त्रासदी ने

कन्या भ्रूण-हत्या: समस्या और निवारण
कन्या भ्रूण-हत्या: समस्या और निवारण
09 December 2021

"जब जीवित गाड़ी हुई लड़की से पूछा जाएगा कि उसकी हत्या किस गुनाह के कारण की गई?" (क़ुरआन: सूरा अत-तकवीर: 8,9)। जगत-उद्धारक हज़रत मुहम्मद (सल्ल.) ने फ़रमाया, "तुममें से जिसके तीन लड़कियाँ या तीन बहनें हों और वह उनके साथ अच्छा व्यवहार करे, तो वह जन्नत में अनिवार्यतः प्रवेश पाएगा" (तिरमिज़ी)।