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सहाबियात

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प्यारे नबी (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की पाक बीवियाँ (उम्महातुल-मोमिनीन)
प्यारे नबी (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की पाक बीवियाँ (उम्महातुल-मोमिनीन)
11 July 2021
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जैसा कि हम सब जानते हैं कि पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ख़ास तौर पर जहाँ मर्दों के लिए एक बेहतरीन नमूना हैं, वहीं आपकी पाक बीवियाँ भी ख़ास तौर पर औरतों के लिए बेहतरीन नमूना हैं। अल्लाह ने जहाँ आप (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को अख़लाक और किरदार के बुलन्द मक़ाम पर पहुँचाया था वहीं आपकी बीवियों को भी अख़्लाक व किरदार का बुलन्दतरीन मक़ाम अता किया था। यही वजह है कि ईमानवाली हर औरत नबी (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की बीवियों के पदचिह्नों पर चलना अपनी सफलता और ख़ुशकिस्मती समझती है।

अल्लाह के रसूल  मुहम्मद (सल०) की साथी महिलाएं (सहाबियात)
अल्लाह के रसूल मुहम्मद (सल०) की साथी महिलाएं (सहाबियात)
23 July 2021
Views: 81

तालिब हाशिमी साहब की किताब से सहाबियात (रज़ि०) की शख्सियत का हर पहलू रौशन हो जाता है। उनकी बहादुरी, उनके बुलन्द हौसले, उनके ईमान की मज़बूती, उनकी नबी (सल्ल०) से निहायत अक़ीदत व मुहब्बत, जाँनिसारी का जज़्बा जैसी तमाम ख़ासियतें सामने आ जाती हैं। 'तज़कारे सहाबियात' जैसी किताब का फ़ायदा हिन्दी जाननेवालों को मिल सके इसके लिए इसका हिन्दी तर्जमा करने का फ़ैसला लिया गया।

उम्मुल मोमिनीन: हज़रत आइशा सिद्दीक़ा (रज़ियल्लाहु अन्हा)
उम्मुल मोमिनीन: हज़रत आइशा सिद्दीक़ा (रज़ियल्लाहु अन्हा)
11 July 2022
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माइल ख़ैराबादी हज़रत आइशा (रज़ियल्लाहु अन्हा) इस्लाम के सबसे पहले ख़लीफ़ा हज़रत अबू-बक्र सिद्दीक़ (रज़ियल्लाहु अन्हु) की छोटी बेटी थीं। इस्लामी इतिहास में जिस तरह हज़रत अबू-बक्र सिद्दीक़ (रज़ियल्लाहु अन्हु) सबसे ज़्यादा मशहूर हैं उसी तरह हज़रत आइशा (रज़ियल्लाहु अन्हा) मुसलमान औरतों में सबसे ज़्यादा नुमायाँ हैं, और हज़रत आइशा (रज़ियल्लाहु अन्हा) का यह परिचय भी कितना शानदार है कि वे अल्लाह के आख़िरी नबी हज़रत मुहम्मद (सल्ललाहु अलैहि वसल्लम) की प्यारी बीवी थीं और यह कि अल्लाह तआला ने नबी (सल्ललाहु अलैहि वसल्लम) की बीवियों को उम्महातुल मोमिनीन (मुसलमानों की माएँ) कहा है। इस इरशाद के मुताबिक़ हज़रत आइशा (रज़ियल्लाहु अन्हा) उम्मुल मोमिनीन (मुसलमानों की माँ) हैं।

हम ऐसी बनें!
हम ऐसी बनें!
02 June 2022
Views: 233

अच्छी बात क़बूल करने का एक ज़रिया यह भी है कि चाहे ज़बान से कुछ न कहा जाए, क़लम से कुछ न लिखा जाए, लेकिन अच्छी बातों और अच्छे अख़लाक़ का नमूना सामने आ जाए, साथ ही इनसानियत की चलती-फिरती तस्वीरों में वह समा जाए तो यह नमूना बहुत असरदार होता है। कुछ महान महिलाओं (सहाबियात) के जीवन से उच्च नैतिकता के चंद उदाहरण पढिए इस किताब में