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मुहम्मद (स॰)

Found 15 Posts

मुहम्मद (सल्ल॰): ईशदूत   
मुहम्मद (सल्ल॰): ईशदूत  
13 March 2020
Views: 82

‘‘अगर कोई व्यक्ति अपनी यौन-कामना को पूरा करता है तो उसका भी उसे सवाब (पुण्य) मिलेगा। शर्त यह है कि वह इसके लिए वही तरीक़ा अपनाए जो जायज़ हो (अर्थात् अपनी पत्नी, या पति से)।’’ एक साहब, जो आपकी बातें सुन रहे थे, आश्चर्य से बोले— ‘‘ऐ अल्लाह के पैग़म्बर, वह तो केवल अपनी इच्छाओं और अपने मन की कामनाओं को पूरा करता है।’’ आपने उत्तर दिया— ‘‘यदि उसने अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए अवैध तरीक़ों और साधनों को अपनाया होता तो उसे इसकी सज़ा मिलती, तो फिर जायज़ तरीक़ा अपनाने पर उसे इनाम क्यों नहीं मिलना चाहिए?’’

हज़रत मुहम्मद (सल्ल॰) और भारतीय धर्म-ग्रंथ
हज़रत मुहम्मद (सल्ल॰) और भारतीय धर्म-ग्रंथ
12 March 2020
Views: 120

डॉ एम ए श्रीवास्तव अब यह बात छिपी नहीं रही कि वेदों, उपनिषदों और पुराणों में इस सृष्टि के अंतिम पैग़म्बर (संदेष्टा) हज़रत मुहम्मद (सल्ल॰) के आगमन की भविष्यवाणियां की गई हैं। मानवतावादी सत्यगवेषी विद्वानों ने ऐसे अकाट्य प्रमाण पेश कर दिए, जिससे सत्य खुलकर सामने आ गया है।

मुहम्मद (सल्ल॰): विश्व नेता
मुहम्मद (सल्ल॰): विश्व नेता
13 March 2020
Views: 79

किसी व्यक्ति को विश्व-नेता कहने के लिए कुछ मानदंड निर्धारित होने चाहिएँ और फिर उस व्यकित का, उन मानदंडों पर आकलन कर के देखना चाहिए कि वह उन पर पूरा उतरता है या नहीं।

मुहम्मद (सल्ल॰) : महानतम क्षमादाता
मुहम्मद (सल्ल॰) : महानतम क्षमादाता
13 March 2020
Views: 90

आत्म-संयम एवं अनुशासन ‘‘जो अपने क्रोध पर क़ाबू रखते हैं......।’’ (क़ुरआन, 3:134)

मुहम्मद (सल्ल॰) की शिक्षाओं के प्रभाव
मुहम्मद (सल्ल॰) की शिक्षाओं के प्रभाव
13 March 2020
Views: 87

विशुद्ध एकेश्वरवादी धारणा ने अनगिनत अच्छाइयाँ और सद्गुण, सदाचार उत्पन्न किए, उनको उन्नति दी और बहुदेववाद से उपजी अनगिनत बुराइयों, अपभ्रष्टताओं, पापों आदि को मिटते हुए, दुनिया ने देखा और मानव-समाज इस परिस्थिति से लाभान्वित हुई। मानव-बराबरी (Human Equality) का कहीं अता-पता न था। आज भी ‘नाबराबरी’ की लानत से दुनिया जूझ रही है। आपकी शिक्षाओं का ही प्रभाव है जो संसार इन्सानी बराबरी की पुण्य अवधारणा से अवगत हुआ, इसके पक्ष में मानसिकता बनी, बड़े-बड़े आन्दोलन चले, तरह-तरह के संवैधानिक क़ानून बनाए गए।

 मुहम्मद (सल्ल॰): जीवन, चरित्र, सन्देश, क्रान्ति
 मुहम्मद (सल्ल॰): जीवन, चरित्र, सन्देश, क्रान्ति
13 March 2020
Views: 87

● तुम में सबसे अच्छा वह है जिसके अख़लाक़ (दूसरों के प्रति व्यवहार) सबसे अच्छे हों। ● अपनी औरतों के साथ अच्छे से अच्छा सलूक करो। वो आबगीनों (पानी के बुलबुलों) की तरह (नाज़ुक) होती हैं। ● तुम में सबसे अच्छा वह है जो अपने से छोटों से प्रेम और बड़ों से आदर के साथ पेश आए। पढ़िये मुहम्मद (सल्ल॰) का जीवन, चरित्र, सन्देश, और क्रान्ति - संक्षेप में

अन्तिम ऋषि
अन्तिम ऋषि
06 March 2020
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हज़रत मुहम्मद (सल्ल॰)‘अन्तिम ईशदूत क्यों? एक बौद्धिक विश्लेषण लेख डॉ। वेद प्रकाश उपाध्याय

हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहुअलैहिवसल्लम) का संदेश
हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहुअलैहिवसल्लम) का संदेश
30 March 2020
Views: 85

मौलाना सैयद अबुल आला मौदूदी अल्लाह के रसूल मुहम्मद (सल्लल्लाहुअलैहिवसल्लम) एक फ़ौजी जनरल भी थे, और आपके नेतृत्व में जितनी लड़ाइयां हुईं, उन सबका विस्तृत विवेचन हमें मिलता है। आप एक शासक भी थे और आप के शासन के तमाम हालात हमें मिलते हैं। आप एक जज भी थे और आप के सामने पेश होने वाले मुक़दमों की पूरी-पूरी रिपोर्ट हमें मिलती है और यह भी मालूम होता है कि किस मुक़दमे में आप ने क्या फ़ैसला फ़रमाया। आप बाज़ारों में भी निकलते थे और देखते थे कि लोग क्रय-विक्रय के मामले किस तरह करते हैं। जिस काम को ग़लत होते हुए देखते उस से मना फ़रमाते थे और जो काम सही होते देखते, उसकी पुष्टि करते थे। तात्पर्य यह कि जीवन का कोई विभाग ऐसा नहीं है, जिसके बारे में आप ने सविस्तार आदेश न दिया हो।

मानवता उपकारक हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम)
मानवता उपकारक हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम)
30 March 2020
Views: 82

अरब के लोग बेटियों की हत्या कर देते थे। भारत में भी यही प्रथा थी। क़ुरआन ने लोगों को इस दुष्कर्म से मना किया। महा ईशदूत ने बेटियों से स्नेह की शिक्षा ही नहीं दी, बल्कि स्नेह के साथ सम्मान का आदर्श भी उपस्थित किया। बेटियों को पाल-पोसकर विवाह कर फल जन्नत में अपने निकट स्थान, बताया। स्त्रियों को बहुत सम्मानित किया। माता की सेवा का फल भी जन्नत और बेटी से स्नेह और लालन-पालन का फल भी जन्नत बताया गया। बहन को भी बेटी के बराबर ठहराया गया। पत्नी को दाम्पत्य जीवन, घराने व समाज में आदरणीय, पवित्र, सुखमय व सुरक्षित स्थान प्रदान किया गया।

हज़रत मुहम्मद (सल्ल.) सबके लिए
हज़रत मुहम्मद (सल्ल.) सबके लिए
30 March 2020
Views: 77

सार्वभौमिकता के परिप्रेक्ष्य में, हजरत मुहम्मद (सल्ल.) के, भारतवासियों का भी पैगम्बर होने की धारणा तकाजा करती हैं कि आप (सल्ल.) के समकालीन भारत पर एक संक्षिप्त दृष्टि अवश्य डाली जाए, और चूंकि आप की पैगम्बरी का ध्येय एवं आप (सल्ल.) के ईशदूतत्व का लक्ष्य मानव-व्यक्तित्व, मानव-समाज के आध्यात्मिक व सांसारिक हर क्षेत्र मे सुधार, परिवर्तन, निखार व क्रान्ति लाना था, इसलिए यह दृष्टि भारतीय समाज के राजनैतिक, सामाजिक व धार्मिक सभी पहलुओं पर डाली जाए।

आखरी पैगम्बर
आखरी पैगम्बर
14 April 2020
Views: 158

बात हज़रत मुहम्मद (सल्लo) की है। हज़रत मुहम्मद जिन्हें दुनिया भर के मुसलमान ईश्वर का आख़िरी पैग़म्बर मानते हैं। दूसरे लोग उन्हें सिर्फ़ मुसलमानों का पैग़म्बर समझते हैं। क़ुरआन से और स्वयं हज़रत मुहम्मद (सल्लo) की बातों से यही पता चलता है कि वे सारे संसार के लिए भेजे गये थे। उनका जन्म अरब देश के नगर मक्का में हुआ था, उनकी बातें सर्व-प्रथम अरबों ने सुनीं परन्तु वे बातें केवल अरबों के लिए नहीं थीं। उनकी शिक्षा तो समस्त मानव-जाति के लिए है। उनका जन्म 571 ई0 में हुआ था, अब तक लगभग 1450 वर्ष बीत गये पर उनकी शिक्षा सुरक्षित है। पूरी मौजूद है। हमारी धरती का कोई भू-भाग भी मुहम्मद (सल्लo) के मानने वालों से ख़ाली नहीं है।

हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) : एक संक्षिप्त परिचय
हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) : एक संक्षिप्त परिचय
15 July 2021
Views: 83

डॉक्टर मुहम्मद अहमद हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) बहादुर होने के साथ बहुत ही नरम दिल थे। आप कमज़ोर लोगों के साथ ही बेज़ुबान जानवरों तक के बारे में नरमी का हुक्म फ़रमाते थे। आप (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की जीवन व शिक्षा का सार और उद्देश्य यह है कि इन्सान अपने एकमात्र स्रष्टा और पालनहार के बताये हुए मार्ग पर चलकर ही ज़िन्दगी गुज़ारे ताकि वह इस लोक और परलोक में सफलता प्राप्त कर सके।

हज़रत मुहम्मद (सल्ल.) सब के लिए
हज़रत मुहम्मद (सल्ल.) सब के लिए
15 July 2021
Views: 123

रफ़ीउद्दीन फ़ारूक़ी

पैग़म्बर मुहम्मद (सल्ल.) का रवैया अपने दुश्मनों के साथ
पैग़म्बर मुहम्मद (सल्ल.) का रवैया अपने दुश्मनों के साथ
16 July 2021
Views: 79

आज जब हम पैग़म्बरों की जीवनी तथा उनकी शिक्षाओं का अध्ययन करते हैं, तो हमें बड़ा आश्चर्य होता है कि इन मेहरबान पैग़म्बरों का विरोध लोगों ने क्यों किया? सच्ची बातों पर आधारित उनकी शिक्षाओं को देशवासियों ने क्यों न स्वीकार कर लिया? हर एक पैग़म्बर का उनके अपने काल में विरोध किया गया, उनका उपहास किया गया, हर प्रकार के अत्याचार उनपर किए गए ।