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इस्लाम

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इस्लाम और अज्ञान
इस्लाम और अज्ञान
25 May 2022
Views: 190

इन्सान इस संसार में अपने आपको मौजद पाता है। उसका एक शरीर है, जिसमें अनेक शक्तियां और ताक़तें हैं। उसके सामने ज़मीन और आसमान का एक अत्यन्त विशाल संसार है, जिसमें लातादाद और असीम चीज़ें हैं और वह अपने अन्दर उन चीज़ों से काम लेने की ताक़त भी पाता है। उसके चारों ओर अनेक मनुष्य, पशु-पक्षी, पेड़-पौधे और पहाड़-पत्थर हैं। और इन सब से उसकी ज़िन्दगी जुड़ी हुई है। अब क्या आपकी समझ में यह बात आती है कि यह उनके साथ कोई व्यवहार संबंध स्थापित कर सकता है, जब तक कि पहले स्वयं अपने विषय में उन तमाम चीज़ों के बारे में और उनके साथ अपने संबंध के बारे में कोई राय क़ायम न कर ले।?

इस्लाम और सामाजिक न्याय
इस्लाम और सामाजिक न्याय
27 May 2022
Views: 195

प्रत्येक मानवीय व्यवस्था कुछ समय तक चलने के बाद खोटी साबित हो जाती है और इनसान इससे मुँह फेरकर एक दूसरे मूर्खतापूर्ण प्रयोग की ओर क़दम बढ़ाने लगता है। वास्तविक न्याय केवल उसी व्यवस्था के अन्तर्गत हो सकता है जिस व्यवस्था को एक ऐसी हस्ती ने बनाया हो जो छिपे-खुले का पूर्ण ज्ञान रखती हो, हर प्रकार की त्रुटियों से पाक हो और महिमावान भी हो।

इस्लाम का नैतिक दृष्टिकोण
इस्लाम का नैतिक दृष्टिकोण
30 May 2022
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मानव मात्र के बहुत बड़े अंग ने अपने वे समस्त नैतिक अवगुण उगलकर सर्वसाधारण के सम्मुख रख दिये हैं जिन्हें वह युगों से भीतर ही भीतर पाल रहा था। अब हम इन गन्दगियों को जीवन के धरातल पर प्रत्यक्ष देख रहे हैं जिनकी खोज के लिये पहले कुछ न कुछ गहराई तक उतरने की आवश्यकता थी। अब केवल कोई जन्मांध ही इस भ्रम में पड़ा रह सकता है कि "बीमार का हाल अच्छा है", और केवल वही लोग चिकित्सा की ओर से असावधान रह सकते हैं जो पशुओं के समान नैतिक अनुभूति से सर्वथा वंचित हैं या जिनकी नैतिक अनुभूति नष्ट हो चुकी है।