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इस्लाम

Found 15 Posts

इस्लाम की वास्तविकता
इस्लाम की वास्तविकता
12 March 2020
Views: 95

लेख संसार में जितने भी धर्म हैं, उनमें से अधिकतर का नाम या तो किसी विशेष व्यक्ति के नाम पर रखा गया है या उस जाति के नाम पर जिसमें वह धर्म पैदा हुआ। उदाहरण के रूप में ईसाई धर्म का नाम इसलिए ईसाई धर्म है कि उसका सम्बन्ध हज़रत ईसा (अलैहि॰) से है। बौद्ध धर्म का नाम इसलिए बौद्ध धर्म है कि इसके प्रवर्तक महात्मा बुद्ध थे। ज़रदुश्ती धर्म (Zoroastrianism) का नाम अपने प्रवर्तक ज़रदुश्त (Zoroaster) के नाम पर है।

कु़रआन: ईश्वरीय संदेश, आपके लिए!
कु़रआन: ईश्वरीय संदेश, आपके लिए!
11 March 2020
Views: 87

लेख: मुहम्मद जैनुल – आबिदीन मंसूरी

इस्लाम धर्म
इस्लाम धर्म
12 March 2020
Views: 90

‘इस्लाम’, अरबी वर्णमाला के मूल अक्षर स, ल, म, से बना शब्द है। इन अक्षरों से बनने वाले शब्द दो अर्थ रखते हैं: एक—शांति, दो—आत्मसमर्पण। इस्लामी परिभाषा में इस्लाम का अर्थ होता है: ईश्वर के हुक्म, इच्छा, मर्ज़ी और आदेश-निर्देश के सामने पूर्ण आत्मसमर्पण करके सम्पूर्ण व शाश्वत शान्ति प्राप्त करना...अपने व्यक्तित्व व अन्तरात्मा के प्रति शान्ति, दूसरे तमाम इन्सानों के प्रति शान्ति, अन्य जीवधारियों के प्रति शान्ति, ईश्वर की विशाल सृष्टि के प्रति शान्ति, ईश्वर के प्रति शान्ति, इस जीवन के बाद परलोक-जीवन में शान्ति।

मुस्लिम उम्मत - पहचान और विशेषताएं
मुस्लिम उम्मत - पहचान और विशेषताएं
12 March 2020
Views: 84

‘‘और इसी तरह तो हमने तुम मुसलमानों को एक ‘‘सन्तुलन पर रहने वाला समुदाय‘‘ बनाया है ताकि तुम दुनिया के लोगों पर गवाह हो और रसूल तुम पर गवाह हों।‘‘ (क़ुरआन, 2-143) ‘‘तुममें कुछ लोग तो ऐसे अवश्य ही रहने चाहिएं जो नेकी की ओर बुलाएं, भलाई का आदेश दें और बुराइयों से रोकते रहें। जो लोग ये काम करेंगे वही सफल होंगे।’’ (क़ुरआन, 3:104)

ईमान’ का अर्थ
ईमान’ का अर्थ
14 March 2020
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ईमान का अर्थ जानना और मानना है। जो व्यक्ति ईश्वर के एक होने को और उसके वास्तविक गुणों और उसके क़ानून और नियम और उसके दंड और पुरस्कार को जानता हो और दिल से उस पर विश्वास रखता हो उसको ‘मोमिन’ (ईमान रखने वाला) कहते हैं। ईमान का परिणाम यह है कि मनुष्य मुस्लिम अर्थात् अल्लाह का आज्ञाकारी और अनुवर्ती हो जाता है।

इस्लाम का इतिहास
इस्लाम का इतिहास
14 March 2020
Views: 96

लेख आमतौर पर यह समझा जाता है कि इस्लाम 1400 वर्ष पुराना धर्म है, और इसके ‘प्रवर्तक’ पैग़म्बर मुहम्मद (सल्ल॰) हैं। लेकिन वास्तव में इस्लाम 1400 वर्षों से काफ़ी पुराना धर्म है; उतना ही पुराना जितना धर्ती पर स्वयं मानवजाति का इतिहास और हज़रत मुहम्मद (सल्ल॰) इसके प्रवर्तक (Founder) नहीं, बल्कि इसके आह्वाहक हैं।

क़ुरआन की शिक्षाएं
क़ुरआन की शिक्षाएं
15 March 2020
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वही ईश्वर ही तो है जिसने तुम्हारे लिए धर्ती का बिछौना बिछाया, आकाश की छत बनाई, पानी बरसाया, पैदावार निकाल कर तुम्हारे लिए रोज़ी जुटाई। तुमको यह सब मालूम है, तो फिर दूसरों को अल्लाह का समकक्ष मत ठहराओ। (सार, 2:22)

इस्लाम: उत्तम समाज का निर्माण
इस्लाम: उत्तम समाज का निर्माण
15 March 2020
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आध्यात्मिकता इन्सान की प्रकृति में रची-बसी है। भौतिकवादी जीवन-प्रणाली के सारे भोग-विलास, ऐश व आराम सिर्फ़ शरीर को सुख देते हैं, आत्मा प्यासी रह जाती है। मानव-प्रकृति यह प्यास बुझाने के लिए व्याकुल रहती है। रहस्यवाद, सूफ़ीवाद, सन्यास, वैराग्य, संसार-त्याग (रहबानियत) और ब्रह्मचर्य आदि इसी प्यास के बुझाने के रास्ते समझे जाते हैं। लेकिन वह आत्मिक सुकून ही क्या जो दाम्पत्य, पारिवारिक व सामाजिक ज़िम्मेदारियों से भाग कर हासिल किया जाए! वह आध्यात्मिक शांति क्या जो उस सांसारिक जीवन-संघर्ष से फ़रार अख़्तियार करके प्राप्त की जाए जिसकी चुनौतियां और कठिनाइयां मनुष्य की मनुष्यता को निखारती, विकसित करती और समाज के लिए उपयोगी व लाभकारी बनाती हैं

इस्लाम की नैतिक व्यवस्था
इस्लाम की नैतिक व्यवस्था
15 March 2020
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मानवीय नैतिकताएं वास्तव में ऐसी सर्वमान्य वास्तविकताएँ हैं जिन्हें सभी लोग जानते हैं और सदैव जानते चले आ रहे हैं। भलाई और नेकी वह चीज़ है जिसे सभी लोग भला जानते हैं और ‘मुनकर’ वह है जिसे कोई अच्छाई और भलाई के रूप में नहीं जानता। इसी वास्तविकता का कु़रआन दूसरे शब्दों में इस प्रकार वर्णन करता है: ‘‘मानवीय आत्मा को ख़ुदा ने भलाई और बुराई का ज्ञान अंतः प्रेरणा के रूप में प्रदान कर दिया है।’’ (9:18)

आप की अमानत आप की सेवा में
आप की अमानत आप की सेवा में
21 March 2020
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मौलाना कलीम सिद्दीकी पुस्तक

सत्य की खोज
सत्य की खोज
28 March 2020
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पुस्तिका: सत्य की खोज लेखक : मुहम्मद इक़बाल मुल्ला

मानवता का सन्देश
मानवता का सन्देश
21 March 2020
Views: 89

पुस्तिका: मानवता का सन्देश लेखक: डा ० रफ़ीक़ अहमद

शान्ति मार्ग
शान्ति मार्ग
21 March 2020
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कल्पना कीजिए, एक आदमी आप से कहता है कि इस शहर में एक कारख़ाना है जिसका न कोई मालिक है, न इंजीनियर, न मिस्त्री, सारा कारख़ाना आप-से-आप क़ायम हो गया है। सारी मशीनें ख़ुद ही बन गई हैं। ख़ुद ही सारे पुर्ज़े अपनी-अपनी जगह पर लग भी गए, ख़ुद ही सभी मशीनें चल भी रही हैं और ख़ुद ही उनमें से अजीब-अजीब चीज़ें बन-बन कर निकल भी रही हैं। सच बताइए, जो आदमी आप से यह कहेगा, क्या आप हैरत से उसका मुँह न देखने लगेंगे? क्या आपको यह शक न होगा कि कहीं उसका दिमाग़ ख़राब तो नहीं हो गया है? क्या एक पागल के सिवा ऐसी ग़लत बात कोई कर सकता है?